भारत सरकार की लोक शिकायत प्रणाली को राष्ट्रमंडल की सराहना

नयी दिल्ली।  भारत की केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) की दक्षता और उपयोगिता को राष्ट्रमंडल देशों के मंच पर सराहा गया है और कहा गया है कि भारत की प्रणाली विश्व की इस प्रकार की श्रेष्ठ व्यवस्थाओं में एक है जिसका उपयोग अन्य देशों में भी किया जा सकता है। राष्ट्रमंडल सचिवालय ने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा लंदन में 22-24 अप्रैल तक आयोजित तीसरी द्विवार्षिक सम्पूर्ण राष्ट्रकुल देशों केलोक सेवा प्रमुखों/सचिवों की बैठक में एक प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया था। भारत की ओर से बैठक में बताया गया कि देश में केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली के लिए अगले 2 वर्षों में 128 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे लोक शिकायत प्रणाली में उन्नत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म के साथ सीपीजीआरएएमएस वर्जन 8.0 को लागू किया जाएगा।

इस प्रणाली पर भारत की ओर से प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव वी. श्रीनिवास ने मंगलवार को प्रस्तुति दी। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इस प्रस्तुति को वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में राष्ट्रमंडल सदस्य देशों से सराहना मिली है। भारत की प्रस्तुति में नागरिकों और सरकार के बीच अंतर को पाटने, नागरिकों को सशक्त बनाने और पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने में उपयुक्त प्रौद्योगिकी की क्षमता को मान्यता, शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली के चरणबद्ध सुधार से शिकायत निवारण की समयसीमा में आई कमी और प्रति माह 1.5 लाख से अधिक शिकायतों का निवारण करने में सफलता और आन लाइन पोर्टल पर 1.02 लाख शिकायत अधिकारियों की मैपिंग तथा स्मार्ट शिकायत निगरानी डैशबोर्ड और ट्री डैशबोर्ड में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस/मशीन लर्निंग प्रथाओं के उपयोग आदि पर प्रस्तुति दी गयी।

बयान के मुताबिक राष्ट्रमंडल की महासचिव, सुश्री पेट्रीसिया स्कॉटलैंड केसी ने कहा, “सीपीजीआरएएमएस एक अत्याधुनिक शिकायत निवारण प्रणाली है और स्मार्ट सरकार का सर्वोत्तम अभ्यास है। राष्ट्रमंडल के शेष 1.2 अरब नागरिक प्रौद्योगिकी मंच को अपनाने से लाभ उठा सकते हैं इसी तरह भारत के 1.4 अरब नागरिक लाभान्वित हुए हैं। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय ‘सेवा वितरण में सुधार के लिए स्मार्ट सरकार का संस्थागतकरण’ था। बैठक में राष्ट्रमंडल के लगभग 50 सदस्य देशों ने भाग लिया।

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