नीट पीजी-2021: सुप्रीम कोर्ट ने 1,456 खाली सीटों की विशेष काउंसलिंग की मांग संबंधी याचिका खारिज की

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने मेडिकल स्नातकोत्तर स्तर की वर्ष 2021 की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट- पीजी 2021) के मामले में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में खाली पड़ी 1,456 सीटें को भरने के लिए अलग से विशेष काउंसलिंग आयोजित करने की मांग संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार और चिकित्सा परामर्श समिति का प्रवेश के लिए एक और दौर की काउंसलिंग नहीं आयोजित करने का निर्णय मनमाना नहीं हो सकता, क्योंकि उन्हें समय सारिणी का पालन करना है। पीठ ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा के मामले में नामांकन की प्रक्रिया अंतहीन नहीं हो सकती है। यह अंततः गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। पीठ ने कहा, “केंद्र सरकार और चिकित्सा परामर्श समिति का विशेष काउंसलिंग नहीं आयोजित करने का निर्णय चिकित्सा शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में है। योग्यता या गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने डॉ आस्था गोयल और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दी कि यदि एक अतिरिक्त काउंसलिंग का दौर अब आयोजित किया जाता है तो वह नीट पीजी-2022 की नामांकन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। यह प्रक्रिया एक जून को परिणाम घोषित होने के बाद जुलाई में शुरू होने वाली है।


पीठ ने गुरुवार को संबंधित पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने पीठ के समक्ष कहा था कि खाली पड़ी अधिकांश सीटें ‘नॉन क्लीनिकल’ हैं और काउंसलिंग की आठ से नौ दौर के बाद भी खाली रहीं। पीठ ने केंद्र सरकार की इस दलील पर सहमति व्यक्त की थी कि हर प्रक्रिया की एक सीमा होनी चाहिए। निर्धारित अवधि से डेढ़ साल बाद विद्यार्थियों को नामांकन दिए जाने से चिकित्सा शिक्षा के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर उचित नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने कहा था कि डेढ़ साल बाद विद्यार्थी नामांकन के लिए दावा नहीं कर सकते। पीठ ने तीन वर्षीय कोर्स में से डेढ़ वर्ष बीत जाने के तथ्य पर गौर करते हुए कहा था, “शिक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। मान लीजिए, आप छह महीने से भूखे हैं, क्या आप छह महीने की भूख के मुताबिक खाना एक दिन में खा सकते हैं? नहीं न शिक्षा भी ऐसी ही चीज है। पीठ ने इतनी बड़ी संख्या में सीटें खाली रहने की जानकारी मिलने पर बुधवार को केंद्र सरकार और मेडिकल काउंसलिंग कमिटी (एमसीसी) की खिंचाई की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि देश में डॉक्टरों की कमी के बावजूद मॉप अप राउंड आयोजित नहीं कर वे (केंद्र एवं एमसीसी) विद्यार्थियों के जीवन से खेल रहे हैं। हालांकि इससे पहले पीठ ने कहा था कि अगर विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया गया तो वह इस संबंध में उन्हें (छात्रों को) मुआवजा देने का आदेश पारित आदेश भी पारित करेगी।

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