उत्तर प्रदेशटॉप-न्यूज़राज्यराष्ट्रीय

योगी ने बाबा गोरक्षनाथ को चढ़ायी खिचड़ी

गोरखपुर।  गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने मकर संक्रन्ति के अवसर पर मंगलवार को कड़ाके की ठंड के बीच शिवावतारी बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ायी। साथ ही, पड़ोसी देश नेपाल के राज परिवार द्वारा भेजी गयी खिचडी चढायी गयी जिसके बाद मंदिर का मुख्य कपाट खिचडी चढाने के लिए श्रध्दालुओं को खोल दिया गया। सोमवार की रात से कतार में लगे श्रध्दालुओं का तांता शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचडी चढाना शुरू कर दिया। मुख्ययमंत्री योगी आदित्यनाथ मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे के कंट्रोल रूम से बैठकर पूरी व्यवस्था पर नजर रखे हुए है। मंदिर के सचिव द्वारका तिवारी ने बताया कि तडके से दोपहर 12 बजे तक तक लगभग पांच लाख श्रध्दालुओं ने खिचडी चढा चुके हैं और देर रात तक लगभग 20 लाख ये अधिक बाबा गोरखनाथ को खिचडी चढाने का अनुमान हैं।

खिचड़ी चढ़ाने के लिये पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत बिहार,उत्तराखंड,दिल्ली,हरियाणा,पंजाब,गुजरात तथा अन्य प्रान्तों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब गोरखनाथ मंदिर में एकत्र होते हैं। प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही नाथ सम्प्रदाय के प्रसिद्ध शिवावतारी गोरक्षनाथ मंदिर में परम्परागत रूप से खिचड़ी चढ़ीने का क्रम शुरू हो जाता है। निर्धारित मुहूर्त में सबसे पहले गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा खिचड़ी चढ़ायी जाती है।

श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर में पहले स्नान करते हैं और उसके बाद योगी गोरखनाथ का दर्शन करने के बाद खिचड़ी चढ़ाते हैं। इस भीम सरोवर में देश के सभी पवित्र नदियों का पानी डाला गया है। मकर संक्रांति के तैयारियों के सिलसिले में शहर के चौराहों तथा गलियों में चूड़ा,लाई,पट्टी,तिलकुट तथा गजक की दुकानें सजी है। मकर संक्रान्ति का पर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पड़ोसी देश नेपाल में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आगरा का तिल लड्डू बिहार का तिलकुट, बंगाल का रामदाना, कानपुर की गजक एवं लखनऊ की रेवड़ी इस बार लोगों को खूब भा रही है। परम्परागत वस्तुओं के साथ ही साथ इस समय सजावटी सामानों की भी भरमार है।

गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रान्ति के अवसर पर 14 जनवरी से एक माह तक चलने वाला खिचड़ी मेला में पहले से दुकानें सजी हुयी हैं। मेले में पड़ोसी देश नेपाल के अलावा बिहार,उत्तराखंड,दिल्ली और गुजरात प्रान्त से आये हजारों की सख्या में श्रद्धालु गोरखपुर आकर शिवावतारी गोरखनाथ बाबा को खिचड़ी,तेल,चावल,गुड़, नमक और घी आदि चढ़ाते हैं। पूरी प्रकृति को ऊर्जस्वित करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है। मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा खाली हाथ नहीं लौटा ठीक वैसे ही जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता।

मंदिर व प्रशासन की ओर से खिचड़ी महापर्व को लेकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा का पूर्ण इंतजाम किया गया है। गोराखपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद सभी व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए हैं। मंदिर प्रबंधन की तरफ से उनके ठहरने और अन्य सुविधाओं का पूरा इंतज़ाम किया गया है। प्रशासन की तरफ से रैन बसेरों में भी पूरी व्यवस्था की गई है। गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति,पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं। इसके परिसर में क्या हिंदू क्या मुसलमान सबकी दुकानें हैं। यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी रोटी का इंतजाम है। यही नहीं मंदिर परिसर में माहभर से अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है।

मान्यता है कि तत्समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए। भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर साधनालीन हो गए।