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देश के तीन वैज्ञानिक को मिला टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार

नयी दिल्ली।  देश के सी. आनंदरामकृष्णन, अमर्त्य मुखोपाध्याय और राघवन वरदराजन वैज्ञानिकों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए प्रतिष्ठित टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार-2024 का विजेता घोषित किया गया है। खाद्य सुरक्षा, स्वस्थ विकास और स्वास्थ्य के क्षेत्र में परिवर्तनकारी शोधकार्य के लिए यह पुरस्कार टाटा संस और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा दिया जाता है। इसके तहत इन तीनों क्षेत्रों के तीन वैज्ञानिकों को दो-दो करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया जाता है। टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार की ओर से सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रीय अंतःविषय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान-तिरुवनंतपुरम के वैज्ञानिक डॉ सी. आनंदरामकृष्णन को चावल को पौष्टिक तत्वों से समृद्ध करने की नयी तकनीक के अविष्कार के लिये पुरस्कृत किया जा रहा है। उनकी तकनीक के इस्तेमाल से चावल के सेवान में पाचन क्रिया के अंतर्गत शर्करा अपेक्षाकृत कम अनुपात में उत्पन्न होती है।

डॉ. आनंदरामकृष्णन ने चावल में पोषक तत्वों को कुशलतापूर्वक समाहित करने और वितरित करने के लिए तीन-तरल नोजल स्प्रे ड्राइंग प्रक्रिया जैसी कई उन्नत खाद्य प्रौद्योगिकियों का विकास किया है। उन्होंने एशिया के पहले कृत्रिम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम का भी निर्माण किया है। डॉ. मुखोपाध्याय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के वैज्ञानिक हैं और विद्युत वाहनों के लिए सोडियम-आयन पर आधारित बैटरी प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान किया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैटरी बनाने की सामग्री के क्षेत्र में डॉ. मुखोपाध्याय के अनुसंधान से लिथियम और कोबाल्ट जैसी सामग्री पर निर्भरता कम होगी। डॉ. मुखोपाध्याय द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी वाली बैटरी का प्रोटोटाइप लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत सस्ता है तथा बैटरी लम्बी दूरी तक चलती है। यह प्रौद्योगिकी विद्युत स्टोरेज के लिए भी सुरक्षित है।

इस पुरस्कार के लिए चुने गए तीसरे वैज्ञानिक प्रो. वरदराजन भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के हैं। उन्होंने श्वसन सम्बन्धी रोग पैदा करने वाले विषाणु के टीके के विकास के लिये पुरस्कृत किया गया है। विज्ञप्ति के अनुसार, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) सालाना तीन करोड़ से अधिक लोगों में गंभीर श्वसन बीमारी का कारण बनता है। यह वायरस भारत सहित विकासशील देशों में शिशुओं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है श्वसन-संक्रमण से होने वाली 97 प्रतिशत से अधिक मौतें आरएसवी से होती हैं।

उल्लेखनीय है कि टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार की स्थापना 2022 में टाटा संस द्वारा की गयी और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के सहयोग से इसकी घोषणा करता है। यह पुरस्कार भारत और दुनिया के समक्ष खाद्य सुरक्षा, स्वच्छ तरीके से विकास और स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने में नवीन प्रौद्योगिकियों के जरिए उल्लेखनीय सहयोग करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों को दिया जाता है।