सुशील का स्कूल गेम्स फेडरेशन का अध्यक्ष चुना जाना तय

नयी दिल्ली, 

दो बार के ओलम्पिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार का स्कूल गेम्स फेडरेशन (एसजीएफआई) का फिर से अध्यक्ष चुना जाना तय है क्योंकि नौ मार्च को दिल्ली में होने वाले चुनावों में सुशील अध्यक्ष पद के अकेले उम्मीदवार हैं। हालांकि वह अब इस पद पर एक साल ही रह पाएंगे। सरकार ने एसजीएफआई के पिछले वर्ष 29 दिसंबर को नागापट्टिनम (तमिलनाडु) में हुए चुनावों को राष्ट्रीय खेल संहिता के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में रद्द कर दिया था और इन चुनावों को दोबारा कराने का आदेश दिया था युवा और खेल मामलों के मंत्रालय ने पांच फरवरी को एसजीएफआई अध्यक्ष सुशील कुमार और महासचिव राजेश मिश्रा को भेजे पत्र में कहा था कि 29 दिसंबर 2020 को नागापट्टिनम (तमिलनाडु) में हुए चुनाव अवैध घोषित किए जाते हैं जिनमें अध्यक्ष की अनुमति और सलाह के बिना निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया था। मंत्रालय ने एफजीएफए को राष्ट्रीय खेल संहिता 2011 के दिशानिर्देशों के अनुसार फिर से चुनाव कराने का निर्देश जारी किया था। अध्यक्ष सुशील कुमार की अनदेखी किए जाने को लेकर खेल मंत्रालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए फिर से चुनाव की मांग की थी, जिसे मान लिया गया है और अब नौ मार्च को दिल्ली में चुनाव होने हैं, जिनमें सुशील का चुना जाना तय हो गया है, क्योंकि अध्यक्ष पद के वह अकेले उम्मीदवार हैं।
सुशील का स्कूल गेम्स फेडरेशन का अध्यक्ष चुना जाना तय
उल्लेखनीय है कि 29 दिसम्बर को हुए चुनावों के बारे में एसजीएफआई के अध्यक्ष सुशील कुमार को कोई जानकारी नहीं थी और सभी पदाधिकारी निर्विरोध चुन लिए गए थे। महासचिव राजेश मिश्रा ने सुशील की जानकारी के बिना अपनी पसंद का निर्वाचन अधिकारी नियुक्त कर दिया था और चुनाव करा लिए थे जबकि राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार संबद्ध फेडरेशन के अध्यक्ष के पास होता है। यह वही राजेश मिश्रा हैं जिन पर दो बार के ओलम्पिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने आरोप लगाया था कि मिश्रा ने एसजीएफआई के नियमों को बदलने के लिए उनके जाली हस्ताक्षर किये थे और उन्हें कोई जानकारी नहीं दी थी। 29 दिसम्बर को हुए चुनावों में अंडमान के वी रंजीत कुमार अध्यक्ष, मध्य प्रदेश के आलोक खरे महासचिव और विद्या भारती के मुख्तेह सिंह बादेशा कोषाध्यक्ष बनाए गए जबकि राजेश मिश्रा खुद सीईओ बन बैठे थे । सुशील ने चुनावों को रद्द किये जाने के फैसले का स्वागत करते हुए राजेश मिश्रा को ही इस सारे फसाद की जड़बताया और कहा था कि वह पिछले कई महीनों से मिश्रा के फर्जीवाड़े के बारे में आवाज़ उठाते रहे हैं लेकिन तब किसी ने ध्यान नहीं दिया।उन्होंने कहा कि इस आदमी ने देश विदेश में भारतीय खेलों और खिलाड़ियों को बदनाम किया है ।
ओलम्पिक पदक विजेता पहलवान ने साथ ही कहा था कि उन्हें इस बात का गहरा दुख है कि मिश्रा ने उनकी शराफ़त और सीधेपन के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने कहा कि वह मिश्रा के खिलाफ हर कड़े कदम उठाएंगे और उसने उनके साथ जो जालसाजी की है उसके लिए सजा दिलाएंगे। सुशील ने कहा था कि खेल मंत्रालय ने चुनावों को रद्द करने का सही फैसला लिया है और इस फैसले से अभिभावकों और खिलाड़ियों का एसजीएफआई पर विश्वास लौटेगा।सुशील ने कहा था कि सरकार ना सिर्फ़ फिर से साफ सुथरे चुनाव कराए बल्कि उन सभी गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सज़ा भी दे जिन्होंने खेल और खिलाड़ियों के साथ विश्वासघात किया है।

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सुशील ने अब अगले साल भर तक के लिए एस जेएफआई के अध्यक्ष पद पर बने रहने का वैधानिक हक भी पा लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नियमों के अनुसार कोई सरकारी अधिकारी अधिक से अधिक पांच साल तक शीर्ष पद पर रह सकता है। वह चार साल शीर्ष पद पर पूरे कर चुके हैं। सुशील कुमार इस तरह ने एक बड़ी कानूनी और मनोवैज्ञानिक लड़ाई जीत ली है। रिटर्निंग ऑफिसर सेवा निवृत्त जज बी एस माथुर के कार्यालय द्वारा जारी सूचना के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए अकेले सुशील कुमार उम्मीदवार हैं। इसी प्रकार सचिव और कोषाध्यक्ष पदों के लिए विजय संतन और सुरेंदर सिंह भाटी का चुना जाना भी तय है। उपाधयक्ष और संयुक्त सचिव पद के लिए क्रमशः आठ आठ दावेदार हैं।अर्थात सुशील अध्यक्ष बने रहेंगे। सुशील ने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है और अब उनका पहला काम एसजीएफआई के खोए विश्वास को फिर से अर्जित करने का होगा। वह पद छोड़ने से पहले इस संस्था को आदर्श स्वरूप दे कर जाएंगे।

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