सुप्रीम कोर्ट ने कुंद्रा की अग्रिम जमानत मंजूर की

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा तथा मॉडल शर्लिन चोपड़ा एवं पूनम पांडेय को अश्लील कंटेन्ट बनाने और उसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाने के मामले में अग्रिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस आशय का आदेश पारित किया और तीनों को अग्रिम जमानत की मंजूरी दी। पीठ ने अपने आदेश में कहा,“आरोपी लोगों को अग्रिम जमानत दी जाती है। उन्हें पुलिस और जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना चाहिए। अदालत ने महाराष्ट्र राज्य के वकील की ओर से प्रस्तुत सभी रिकॉर्डों को ध्यान में रखते हुए आरोपी लोगों को अग्रिम ज़मानत की मंजूरी दी। वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि अभियुक्तों के खिलाफ आरोपपत्र पहले ही दायर की जा चुकी है।

न्यायालय ने सभी आरोपियों को नियमित जमानत के लिए संबंधित मुंबई ट्रायल कोर्ट से संपर्क करने को कहा। महाराष्ट्र पुलिस ने अग्रिम जमानत की दलीलों का विरोध नहीं किया। न्यायालय ने कहा,“ये ऐसे मामले हैं जहां याचिकाकर्ताओं को ट्रायल कोर्ट की ओर से लगाई गई शर्तों के अधीन अग्रिम जमानत की अनुमति दी जानी चाहिए। यदि भविष्य के मामले में उनकी आवश्यकता होती है, तो उन्हें पूरा सहयोग करना चाहिए। ट्रायल कोर्ट को अनिवार्य रूप से इसे एक शर्त के रूप में शामिल करना चाहिए। न्यायालय ने शुरुआत में सवाल किया कि क्या इस तरह के मामले में जमानत दी जा सकती है। न्यायालय ने पूछा,“इससे समाज को क्या संदेश जाएगा। जब तक आप नियमित जमानत के लिए अदालत नहीं जाते, तब तक हम आपकी रक्षा करेंगे।

राज कुंद्रा, पूनम पांडे, शर्लिन चोपड़ा और उमेश कामत ने अपने खिलाफ अश्लीलता की कार्यवाही को खत्म करने का निर्देश देने की मांग की। महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने अश्लील सामग्री बनाने और वित्तीय विचार के लिए इसे ओटीटी प्लेटफार्मों पर प्रसारित करने के लिए आरोपपत्र दायर की है। इन लोगों पर दो उपनगरीय पांच सितारा होटलों में अश्लील वीडियो शूट करने का आरोप लगाया गया है। कुंद्रा पर ‘हॉटशॉट्स’ नामक ग्राहक-संचालित मोबाइल ऐप का उपयोग करके अश्लील फिल्मों का निर्माण और वितरण करने का आरोप लगाया गया था।

कुंद्रा ने हालांकि दावा किया कि कथित सामग्री के निर्माण में उनके सक्रिय रूप से शामिल होने का कोई सबूत नहीं है और उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है। मधुकर केनी ने 31 अक्टूबर को नोडल साइबर थाने में कुंद्रा, पूनम और शर्लिन तथा कुछ अन्य आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि ये आरोपी कथित रूप से अश्लील वीडियो, कामुक, आपत्तिजनक यौन इच्छा संदेश वाली ऑडियो फाइलें और वीडियो इंटरनेट के माध्यम से उसके प्रसारण/प्रदर्शन में शामिल हैं।

पूनम पांडे ने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) सोयब कुरैशी के माध्यम से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें दावा किया गया था कि वह आरोपी नहीं, बल्कि एक पीड़िता है। उन्होंने कहा कि 2015 में सरकार की ओर से संदिग्ध सामग्री को पहले ही ब्लॉक कर दिया गया था। इसके अलावा पूनम ने कहा कि याचिकाकर्ता की वेबसाइटों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कामकाज में कोई भूमिका नहीं है। वास्तव में, याचिकाकर्ता ने खुद पीड़ित होने के नाते उन लोगों के खिलाफ उचित कानूनी उपाय किए हैं जो उसे परेशान कर रही हैं।

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