राम मंदिर के लिए जमीन खरीद में भ्रष्टाचार हुआ : संजय सिंह

नयी दिल्ली,

आम आदमी पार्टी(आप) के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने कहा है कि राम मंदिर के लिए 12080 वर्ग मीटर जमीन 18.50 करोड़ रुपये में खरीदी गई, जबकि उसके बगल में 10370 वर्ग मीटर जमीन सिर्फ आठ करोड़ रुपये में खरीदी गई। इससे साफ पता चलता है कि जमीन की खरीद में भ्रष्टाचार किया गया है। राज्य सभा सांसद श्री सिंह ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि अगर आठ करोड़ में 10370 वर्ग मीटर जमीन खरीदने के रेट को सही मान लें तो भी 18.50 करोड रुपये में करीब 26000 वर्ग मीटर जमीन खरीदी जा सकती थी जबकि साढ़े अट्ठारह करोड़ में सिर्फ 12080 वर्ग मीटर जमीन ही खरीदी। राम जन्म भूमि ट्रस्ट, भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद जिस एग्रीमेंट का बार-बार जिक्र कर रहे थे, वह 18 मार्च को निरस्त हो गया था, उसमें रवि मोहन तिवारी का नाम नहीं था तो फिर बैनामे में उसका नाम क्यों शामिल कराया गया? उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और रवि मोहन तिवारी रिश्तेदार हैं। रवि मोहन तिवारी मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के समधी का साला है। रवि मोहन तिवारी का नाम एग्रीमेंट में इसलिए डाला गया ताकि इनके खाते में रुपए डाल कर करोड़ों रुपए की बंदरबांट की जा सके।

राम मंदिर के लिए जमीन खरीद मामले में संजय सिंह ने किए और खुलासे, कहा- BJP  प्रॉपर्टी डीलरों के साथ
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने सात जून को भतीजे दीप नारायण उपाध्याय के नाम पर महेंद्र नाथ मिश्रा से 1.90 करोड़ रुपए की जमीन खरीदी। इसके आय के स्रोतों की जांच होनी चाहिए। सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी के खातों की जांच होनी चाहिए कि उनके खाते में जो 17 करोड़ गए तो वह कहां गए। श्री सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 50 लाख रुपये से ज्यादा की कोई खरीद अगर रजिस्ट्री विभाग में होती है, आयकर विभाग को इसकी सूचना दी जाती है, जबकि 18.50 करोड़, आठ करोड़ और दो करोड़ की जमीन खरीदने के मामले में ऐसा क्यों नहीं हुआ? उन्होंने आरोप लगाया कि राम मंदिर इसलिए नहीं बन पा रहा है क्योंकि घोटाला और भ्रष्टाचार किया जा रहा है। भाजपा और राम जन्म भूमि ट्रस्ट के लोगों ने राम मंदिर के लिए एकत्र किये गये पैसे खा लिये हैं। गरीबों ने अपना पेट काटकर राम मंदिर के लिए चंदा दिया है। उस चंदे के एक-एक रुपए का सदुपयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जगदगुरू शंकराचार्य जी, स्वामी स्वरूपानंद जी, रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी, सत्येंद्र दास, निर्मोही अखाड़े, स्वामी अवमुक्तेश्वानंद का बयान आया कि वे भी इस भ्रष्टाचार की घटना से आहत हैं, क्या ये सब प्रभु श्री राम के खिलाफ हैं?

Breakup in the land of Ram temple After 10 minutes of the land bought for  two crores the agreement was done for 18 crores,राम मंदिर की जमीन में  गोलमालः दो करोड़ में
राज्यसभा सांसद ने कहा कि चंपत राय का झूठ नंबर एक… पहले दिन चंपत राय ने कहा,“ मैं इस मामले की स्टडी करूंगा जबकि कि वह तीन महीने से सुल्तान अंसारी से मिल रहे थे और जमीन का सौदा कर रहे थे। उनको घटना के बारे में जानकारी थी। चंपत राय का झूठ नंबर दो… सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी के साथ पुराना एग्रीमेंट था, वह हमारे लिए बाध्यकारी था। इसलिए मैंने दो करोड़ रुपये में जमीन खरीदी, जिसे हमने उनसे 18.50 करोड़ रुपये में खरीदा। ”
श्री सिंह ने कहा, “सच यह है कि वह एग्रीमेंट 18 मार्च को ही निरस्त हो गया था। उन्होंने कहा कि चंपत राय का झूठ नंबर तीन….जमीन का रेट महंगा हो गया। भाजपा, विश्व हिंदू परिषद, राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लोग मुझसे पूछ रहे थे कि आसपास की जमीन का रेट पता कर लो। जबकि उन लोगों को तो पता था कि बगल की जमीन का रेट आठ करोड़ रुपए है।” उन्होंने कहा,“ मैं आठ करोड़ रुपए की जमीन का रेट बताता हूं। यह गाटा संख्या 242, इसका मतलब कि बगल की जमीन है। इसका मूल्य प्रति वर्ग मीटर 4800 रुपये है। राम जन्म भूमि ट्रस्ट ने रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से जो जमीन खरीदी है उसका रेट भी प्रति वर्ग मीटर 4800 रुपये है, यानी जमीन बिल्कुल आसपास की है। गाटा 243, 244, 246 की जमीन 18.50 करोड़ रुपये में खरीदी जाती है और गाटा संख्या 242 की जमीन आठ करोड़ रुपये में खरीदी जाती है। आठ करोड़ रुपये में 10370 वर्ग मीटर जमीन खरीदी गई और 18.50 करोड़ रुपये में 12080 वर्ग मीटर जमीन खरीदी गई है। एक जमीन 12080 वर्ग मीटर और दूसरी जमीन है 10370 वर्ग मीटर है जबकि एक जमीन का दाम है 18.50 करोड़ रुपये और दूसरी जमीन का दाम है 8 करोड़ रुपये है। दोनों जमीनों में मात्र 1700 वर्ग मीटर का अंतर है। यह भ्रष्टाचार नहीं तो क्या है।
श्री सिंह ने कहा कि अगर आठ करोड़ रुपये के रेट को सही मान लें जिसमें 10370 वर्ग मीटर जमीन खऱीदी गई तो 18.50 करोड़ रुपये में करीब 26000 वर्ग मीटर जमीन खरीदी जा सकती थी लेकिन आपने 12080 वर्ग मीटर का दाम 18.50 करोड़ रुपये लगाया। यह गणित कक्षा तीन के बच्चे को समझ में आ सकती है जो चंपत राय, भाजपा, विश्वहिन्दू परिषद को समझ में नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों राम भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है। राम मंदिर निर्माण में घोटाला और भ्रष्टाचार हुआ है। राम मंदिर अगर नहीं बन पा रहा है तो इसलिए क्योंकि इसके नाम पर घोटाला और भ्रष्टाचार किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेता और राम जन्म भूमि ट्रस्ट के लोगों ने मिलकर राम मंदिर का पैसा खा लिया है। भाजपा के नेताओं को देश और दुनिया के करोड़ों हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए। यह 16.50 करोड़ रुपये इन लोगों से वापस लेना चाहिए क्योंकि इस देश के करोड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा है और इन दोषियों को पकड़कर जेल में डालना चाहिए। आज के दस्तावेजों से स्पष्ट हो जाता है कि एक नहीं बार-बार झूठ बोला गया। उन्होंने कहा कि चंपत राय को पता था कि बगल की जमीन का मूल्य आठ करोड़ है।
सांसद ने कहा, “मैं चंपत राय से पूछना चाहता हूं कि क्या अगर आपको अपने पैसे से जमीन खरीदनी होती तो आप ठीक बगल की जमीन को 18.50 करोड़ रुपये में जमीन खरीदते क्योंकि देश के करोड़ों लोगों की आस्था और गाढ़ी कमाई का पैसा था। उस पैसे में आपको भ्रष्टाचार करना था, इसलिए ठीक बगल में 10370 वर्ग मीटर आठ करोड़ में खरीदी जाती है और 12080 वर्ग मीटर 18.50 करोड़ रुपये में खरीदी जाती है। इससे पूरी तरह से भ्रष्टाचार स्पष्ट हो गया है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लोग चिट्टी लिखकर देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस चिट्ठी में लिख रहे हैं कि उक्त जमीन का पूर्व में विक्रेताओं ने एग्रीमेंट किया था। यह झूठा पत्र क्यों लिख रहे हैं, राम भक्तों को गुमराह क्यों कर रहे हैं। राम मंदिर तेजी से बनना चाहिए। गरीबों ने अपना पेट काटकर प्रभु श्री राम की मंदिर के लिए चंदा दिया। उस चंदे के पैसे का एक-एक रुपए का सदुपयोग होना चाहिए। इस देश के करोड़ों हिंदुओं से भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद और राम जन्म भूमि ट्रस्ट को हाथ जोड़कर इस चोरी के लिए माफी मांगनी चाहिए। श्री सिंह ने कहा, “मेरे परिवार के लोगों को धमकियां दी जा रही हैं, मेरे ऊपर हमले कराएं जा रहे हैं। मैं करोड़ों राम भक्तों से कहना चाहता हूं कि गुमराह मत होना। इनकी असलियत अब सामने आ चुकी है। जगदगुरु शंकराचार्य जी, स्वामी स्वरूपानंद जी, रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी का बयान आया, सत्येंद्र दास, स्वामी अवमुक्तेश्वानंद का बयान आया कि वे भी इस भ्रष्टाचार की घटना से आहत हैं। उन्होंने लिखित में शिकायत दी, क्या वे भी प्रभु श्री राम के खिलाफ हैं। निर्मोही अखाड़े का बयान आया कि इनके ऊपर तीन साल पहले 1400 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, क्या ये सब भी प्रभु श्री राम के खिलाफ हैं। दूसरों पर आरोप लगाना बंद करो। यह 16.50 करोड़ रुपये वापस करो, जेल जाओ।”

Leave a Reply

Your email address will not be published.