समाज की समस्याओं का समाधान करने वाला हो शोध: सिसोदिया
नयी दिल्ली,
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऐसे शोध पर ध्यान देने की जरूरत है जो समाज की समस्याओं का तत्काल समाधान दे सकें। सिसोदिया ने बुधवार को राज्य के विश्वविद्यालयों की शोध परियोजनाओं की समीक्षा की और उन्हें इन्नोवेटिव शोध कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,“ वर्षों से राज्य विश्वविद्यालयों ने संस्थानों के रूप में अधिक से अधिक ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है, लेकिन अब उन्हें उन शोध परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जो विश्व के विश्वविद्यालयों के लिए मील का पत्थर स्थापित कर सकें। तेजी से बदलती इस दुनिया में उन्हें ऐसे शोध पर ध्यान देने की जरूरत है जो समाज की समस्याओं का तत्काल समाधान दे सकें। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से बात करते हुए कहा कि राज्य के विश्वविद्यालय राज्य सरकार की एक विस्तारित शाखा के रूप में काम कर रहे हैं, अध्ययन कर रहे हैं और समय-समय पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इससे सरकार को कई जन-केंद्रित निर्णय लेने में मदद मिली है। लेकिन अब उन्हें दुनिया भर की बड़ी समस्याओं के बारे में सोचने और उन पर इनोवेटिव शोध करने की जरूरत है। उन्होंने कुलपतियों को आश्वासन दिया कि केजरीवाल सरकार इनोवेटिव अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और अगर विश्वविद्यालयों इनोवेटिव विचारों पर ध्यान केंद्रित करती हैं तो सरकार से धन की कोई कमी नहीं होगी।
सिसोदिया ने कहा,“हमारा उद्देश्य हमारे विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय संस्थानों के रूप में विकसित करना है और यह केवल दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के साथ इनोवेटिवे शोध में सहभागिता के माध्यम से ही संभव है। सरकार समान विषयों की परियोजनाओं पर राज्य के विश्वविद्यालयों को एक दूसरे के साथ सहयोग करने में मदद करने के लिए एक एकीकृत तंत्र भी स्थापित करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे उत्पादों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो विदेशी उत्पादों पर निर्भरता को कम कर सकें। समीक्षा बैठक में उपस्थित मुख्य सचिव नरेश कुमार ने कहा,“ प्राचीन काल में दुनिया भर से लोग नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में अध्ययन और शोध के लिए आते थे। हमें उस परिदृश्य को वापस लाने और अपने विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाने की जरूरत है। इसके लिए राज्य के विश्वविद्यालयों को अपने अनुसंधान विंग को मजबूत करने और स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, सामाजिक मुद्दों, शिक्षा, भाषा विज्ञान आदि के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए बड़े विचारों पर विचार करने की आवश्यकता है”।