रजत शर्मा ने डीपफेक तकनीक पर गैर-नियमन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया
नयी दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा की ओर से देश में डीपफेक तकनीक पर गैर-नियमन के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को नोटिस जारी किया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार से जवाब मांगा तथा पूछा कि क्या वह इस मुद्दे पर कार्रवाई करने के लिए तैयार है। इंडिया टीवी के अध्यक्ष और प्रधान संपादक रजत शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि डीपफेक तकनीक का प्रसार गलत सूचना और दुष्प्रचार अभियान सहित समाज के विभिन्न पहलुओं के लिए महत्वपूर्ण खतरा है।
डीपफेक सार्वजनिक संवाद और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को नुकसान पहुंचाता है, धोखाधड़ी और पहचान की चोरी में संभावित उपयोग के साथ-साथ व्यक्तियों की प्रतिष्ठा और गोपनीयता को नुकसान पहुंचाता है। याचिकाकर्ता ने कहा,“ये सभी खतरे तब और बढ़ जाते हैं जब किसी प्रभावशाली व्यक्ति जैसे राजनेता, खिलाड़ी, अभिनेता या जनता की राय को प्रभावित करने वाले किसी अन्य सार्वजनिक व्यक्ति का डीपफेक बनाया जाता है। यह खतरा उस व्यक् के मामले में और ज्यादा बढ़ जाता है जो रोज टीवी पर दिखाई देता है और जिसके बयानों पर जनता भरोसा करती है। रजत शर्मा ने कहा कि इनके दुरुपयोग से जुड़े संभावित नुकसान को कम करने के लिए सख्त प्रवर्तन और सक्रिय कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है।
डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग के खिलाफ पर्याप्त विनियमन और सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति से संविधान के अंतर्गत प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों पर एक गंभीर खतरा उत्पन्न होता है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, गोपनीयता और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार शामिल है। याचिकाकर्ता ने अदालत से हस्तक्षेप करने और केंद्र सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया जिससे वह एप्लिकेशन, सॉफ्टवेयर, प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों तक सार्वजनिक पहुंच की पहचान और अवरुद्ध कर सके, जो डीपफेक के निर्माण को सक्षम बनाता है। याचिकाकर्ता ने सरकार से सभी सोशल मीडिया माध्यमों को संबंधित व्यक्ति से शिकायत प्राप्त होने पर डीपफेक को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश जारी करने की भी मांग की।
याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डीपफेक के निर्माण को सक्षम बनाने वाले प्लेटफॉर्म और वेबसाइट यह खुलासा करें कि सामग्री एआई द्वारा वॉटरमार्क या किसी अन्य प्रभावी पद्धति से बनायी गई है। जनहित याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी मांग की गई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तक किसी भी पहुंच को संविधान के भाग III में गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के तहत सख्त किया जाए, जब तक कि केंद्र द्वारा प्रासंगिक नियम नहीं बनाए जाते। याचिकाकर्ता ने डीपफेक के संबंध में शिकायतें प्राप्त होने के मामले में 12 घंटे और किसी सार्वजनिक व्यक्ति की सामग्री के मामले में छह घंटे के भीतर कार्रवाई करने के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए एक और निर्देश देने की मांग की।