विकास में बाधा डालने के लिए छेड़े जाते हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रत जैसे मुद्दे: मोदी

नयी दिल्ली, 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उपनिवेशवादी सोच वाली कुछ वाह्य और आंतरिक शक्तियां भारत जैसे विकासशील देशों की राह में बाधाएं खड़ी कर रही है। श्री मोदी ने कहा कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर भारत एकमात्र देश हैं। इसके बावजूद भारत पर पर्यावरण के नाम पर भाँति-भाँति के दबाव बनाए जाते हैं।यह सब, उपनिवेशवादी मानसिकता का ही परिणाम है। उन्होंने ने कहा कि भारत में भी कुछ लोग उपनिवेशवादी मानसिकता के है, जो कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, तो कभी और किसी मुद्दे पर देश के विकास में रुकावटें पैदा करते हैं। उन्होंने कहा, “अपने देश में भी कुछ लोगों की इसी मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाते हैं। कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर, तो कभी कभी किसी और चीज़ का सहारा लेकर। प्रधानमंत्री मोदी संविधान दिवस पर शुक्रवार शाम को विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना, केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल, उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह और न्यायिक क्षेत्र की तमाम हस्तियां मौजूद थीं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि उनकी सरकार का ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास’ के मूल मंत्र पर काम कर रही है, जो संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है।


श्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत की आजादी के बाद विश्व में उपनिवेश खत्म हो गए, पर उपनिवेशवादी मानसिकता अभी बनी हुई है। जिस राह पर चल कर पश्चिम के देश विकसित हुए, उस राह को भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अलग-अलग नाम (मुद्दे) पर रोका जा रहा। इस संदर्भ में उन्होंने ब्रिटेन में ग्लासगो में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन सीओपी26 में उठाए जाने वाले मुद्दों का उदाहरण दिया, जिसमें भारत पर कोयले के उपायोग को अपेक्षाकृत जल्दी समाप्त करने का जोर था, जबकि देश ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में अब भी कोयले का बड़ा योगदान है। प्रधानमंत्री ने कहा 1857 से अब तक पश्चिमी देशों ने भारत की तुलना में 15 गुना पूर्ण कार्बन उत्सर्जन किया है। अमेरिका का प्रति व्यक्ति पूर्ण कॉर्बन उत्सर्जन 20 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि भारत प्रकृति के साथ जीने की प्रवृत्त वाली संस्कृति है। यहां पेड़ और पत्थरों को देवता की तरह से पूजा जाता है। भारत में वन क्षेत्र बढ़ रहा है। शेर और डाल्फिन की संख्या में वृद्ध हुई है। नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में देश अग्रणी है। वाहनों के प्रदूषण मानकों को भारत ने अपने से सख्त किए है। फिर भी भारत को पर्यावरण पर उपदेश सुनाए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका और यूरोप ने 1850 से अब तक भारत की तुलना में 20-20 गुना तक प्रति व्यक्ति प्रदूषण करके विकास की मंजिलें तय कीं, पर अब भारत जैसे प्रकृति प्रेमी देश और समाज को पर्यावरण संरक्षण के उपदेश दिए जा रहे हैं। उन्होंने नर्मदा बांध का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में भी कुछ ताकतें विकास की राह में बाधाएं खड़ी करती हैं। नर्मदा के पानी के पहुंचने से आज गुजरात का रेगिस्तानी जिला कृषि उत्पाद के निर्यात के लिए विश्व में पहचान बना रहा। यह वही कच्छ है, जो कभी लोगों के पलायन के लिए जाना जाता था।


प्रधानमंत्री ने कहा कि बुनियादी अवसंरचना की योजनाओं में बाधा खड़ी करने का नुकसान उन्हें नहीं होता, जो बाधा खड़ी करते है, बल्कि इसका नुकासान बिजली, सड़क सम्पर्क और जीवन की अन्य सुविधाओं के अभाव में जीने वाली माताओं-पिता और उनके बच्चों को उठाना पड़ता है। प्रधानमंत्री गरीब काल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, उज्ज्वला योजना के तहत आठ करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन और 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार बिना भेद भाव के लोगों के कल्याण और विकास के लिए समर्पित भाव से काम कर रही है। उन्होंने हाल में प्रकाशित पांचवें राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आकंड़ों का जिक्र करते हुए कहा , “महिला पुरुष समानता की बात करें तो अब पुरुषों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है।” उन्होंने कहा गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलिवरी के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, “इन आंकड़ों में 1 प्रतिशत के अंश का सुधार केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि वह परियोजनाओं के लाभ का प्रमाण है।” उन्होंने कहा कि परियोजनाओं की वजह से माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर कम हो रही है। मोदी ने कहा सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में जो संकल्पशक्ति पैदा हुई, उसे और अधिक मजबूत करने में ये औपनिवेशिक सोच बहुत बड़ी बाधा है। हमें इसे दूर करना ही होगा और इसके लिए, हमारी सबसे बड़ी शक्ति, हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बिना भेदभाव के पूरे देश के लाभ के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग आज जितना पा रहे हैं, उनका हक उससे ज्यादा बनता है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की सिद्धि सबके साथ मिल कर काम करने से ही पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की इसमें बड़ी भूमिका है। उन्होंने इस अवसर पर न्यायपालिका के काम काज में डिजिटल प्रौद्योगिकी के बड़े समावेश का उल्लेख किया और कहा कि आने वाले समय में भारत की न्याय प्रणाली और अधिक उन्नत होगी।


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास के मूल मंत्र के साथ काम कर रही है और यह मंत्र संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के तीनों अंगों की शक्तियों का संविधान के अनुसार पृथक किया जाना श्रेष्ठ व्यवस्था है, पर अधिकारों के इस पृथक्करण के इस अधिष्ठान पर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मिल कर काम करने का ‘साझा संकल्प’ भी बहुत जरूरी है, ताकि स्वाधीनता की अमृतवेला में अगले 25 वर्ष के दौर हम देश को विकास की नयी ऊंचाइयों पर ले जा सकें और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। श्री मोदी ने कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया। उन्होंने कहा कि संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और यह हमने करके दिखाया है। उन्होंने कहा, “आज गरीब से गरीब को भी क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर तक सुलभ हो रहा है, जो कभी साधन संपन्न लोगों तक सीमित था। उन्होंने कहा कि अब लद्दाख, अंडमान और पू्र्वोत्तर के विकास पर देश का उतना ही फोकस है, जितना दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों पर है। प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में गरीबों के कल्यण के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोरोना काल में पिछले कई महीनों से 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज सुनिश्चित किया जा रहा है। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना पर सरकार दो लाख 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है। उन्होंने कहा,“अभी कल ही हमने इस योजना को अगले वर्ष मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है।

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