ओलंपिक खेलों का आकर्षण और अभिन्न अंग

डॉ योगेश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर शारीरिक शिक्षा विभाग मेरठ कॉलेज

आजकल पूरी दुनिया में ओलंपिक का खुमार सभी के सर चढ़कर बोल रहा है. ओलंपिक वह प्रतियोगिता है जिस में प्रतिभाग करना अपने आप में गर्व का विषय होता है. प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह गर्व की बात होती है कि उसने ओलंपिक में प्रतिभाग किया, चाहे वह स्वयंसेवक के रूप में हो, निर्णय को के रूप में हो  प्रशिक्षकों के रूप में हो, व्यवस्थापको के रूप में हो और यदि खिलाड़ी के रूप में है तो इससे अधिक गौरवान्वित करने वाला विषय किसी व्यक्ति के लिए उसके जीवन में नहीं हो सकता. तो आज हम बात करते हैं खेलों की रानी कहे जाने वाले एथलेटिक्स की और भारतीय एथलीटओ के इसमें प्रदर्शन की. एथलेटिक्स प्रतियोगिताएं प्राचीन ओलंपिक से लेकर आधुनिक ओलंपिक तक सतत रूप से ओलंपिक खेलों का आकर्षण और अभिन्न अंग रही है.

भारतवर्ष की ओर से ब्रिटिश मूल के एथलीट नारमन Pritchard ने 1900 के पेरिस ओलंपिक में पहली बार भारत के लिए 200 मीटर बाधा दौड़ तथा 200 मीटर में रजत पदक जीता था. तब से लेकर आज तक कोई भी भारतीय एथलीट भारत के लिए एथलेटिक्स में पदक नहीं जीत पाया है.  इसकी कशिश पूरे देशवासियों के साथ साथ देश के नामचीन एथलीट्स चाहे स्वर्गीय मिल्खा सिंह जी हो, पीटी उषा जी हो, अंजू बॉबी जॉर्ज हो, श्री राम सिंह जी हो, शक्ति सिंह हो, सभी को रही हैं.

इन सभी एथलीट्स ने भारत के लिए समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है परंतु ओलंपिक में अपने देश के लिए एथलेटिक्स में पदक नहीं जीत पाए और उनका मलाल उन्हें आज तक है परंतु आज की प्रतियोगिता में भारत की चक्का फेंक एथलीट कमलप्रीत कौर ने अपने तीसरे प्रयास में 64 मीटर दूरी तय कर  दो चीजें लगभग तय कर दी हैं.  पहला तो यह कि उन्होंने ऑटोमेटिकली फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया और दूसरा यह कि भारतीयों के अंदर एक उत्सुकता और आशा की किरण प्रेषित की है कि भारत का एथलेटिक्स में पदको का सूखा समाप्त होने वाला है.  यदि वह अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन यहां दोहराती है तो निश्चित रूप से भारत के लिए महिला एवं पुरुष वर्ग में भारतीय मूल की पहली खिलाड़ी होंगी जो एथलेटिक्स प्रतियोगिता में मेडल जीतेंगे और उनका आत्मविश्वास यह दर्शा रहा है कि वह ऐसा कर सकती हैं.

आज भारत के लिए ओलंपिक से बॉक्सिंग में बहुत बुरी खबर प्राप्त हुई. जिसमें विश्व के नंबर एक बॉक्सर अमित पंघाल पहला राउंड जीतने के बाद राउंड ऑफ 16 का मुकाबला हारकर बाहर हो गए. टीवी पर जो जो लोग यह मुकाबला देख रहे थे अपने आंसू नहीं रोक पाए क्योंकि उन्हें अमित बंगाल से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी परंतु यह ओलंपिक है यहां कुछ भी संभव हो सकता है.

दूसरा बुरा समाचार बैडमिंटन से आया जिसमें पीवी सिंधु सेमीफाइनल में अपनी प्रतिस्पर्धी ताइवान की ताई जी से हार गई. अब उन्हें कांस्य पदक के लिए मुकाबला करना होगा. उनसे भारत वासियों को स्वर्ण की उम्मीद थी. बॉक्सिंग और बैडमिंटन में भारत वर्तमान में जरूर मेडल टैली में रहता आया है और आगे भी पदक आने की संभावना है. भारतीय खेल प्रेमियों के लिए आज के दिन एथलेटिक्स से अच्छी खबर आई.  हॉकी पुरुष वर्ग से भी अच्छी खबर यह है कि ऑस्ट्रेलिया नीदरलैंड और जर्मनी यह तीनों टीमों वर्तमान में भारत पर भारी पड़ती है.

परंतु भारत के द्वारा अपने अपने पूल में द्वितीय स्थान प्राप्त करने से यह लाभ मिला है कि उपरोक्त तीनों टीमों में से किसी एक के साथ फाइनल में ही मुकाबला होगा. यदि भारत अपना कल का मुकाबला स्पेन से और ब्रिटेन और बेल्जियम के विजेता से जीत लेता है जिस की पूरी पूरी संभावना है क्योंकि सामान्यतः भारत अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में स्पेन बेल्जियम और ब्रिटेन को हरा चुका है इसलिए इस बार हॉकी से भी मेडल आने की संभावनाएं हैं. तब तक ओलंपिक देखते रहिए भारत के लिए दुआएं करते रहिए

 

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