परसा ईस्ट,केन्ते कोयला खान पर रोक की अर्जी पर अंतरिम राहत नहीं

नयी दिल्ली, 

उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि (आरआरवीयूएनएल) के लिए छत्तीसगढ़ में आवंटित परसा ईस्ट और केन्ते बासन कोयला खान परियोजना की वन संबंधी मंजूरी से जुड़े मामले की सुनवाई 14 जुलाई 2022 के लिए सूचीबद्ध की है। इस मामले में अंतरिम अर्जी के माध्यम से इन खानों के परिचालन पर रोक लगाने की मांग कर रहे प्रार्थी सुदीप श्रीवास्तव के वकील प्रशांत भूषण के अत्यावश्यक उल्लेख पर स्थगन देने के बजाय न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने मंगलवार को अर्जी पर जवाब देने के लिए संबंधित पक्षों को चार सप्ताह का समय दिया और इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 14 जुलाई 2022 की तिथि मुकर्रर की। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार ने आरआरवीयूएनएल को परसा ईस्ट एवं केन्ते खान परियोजना के दूसरे चरण में कोयले की खुदाई के लिए अनुमति दी है, इसके बाद कंपनी वहां पांच लाख पेड़ काटने की तैयारी में है, ऐसे में इस मामले पर सुनवाई कर तत्काल स्थगन आदेश जारी करने का अनुरोध किया जाता है। आरआरवीयूएनएल के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी को दूसरे चरण में कोयला उत्खनन के लिए विधिवत अनुमति मिली है। उन्होंने कहा कि इस खान से आरआरवीयूएनएल के बिजली घरों को कोयला मिलता है और यह बिजली घर राजस्थान की 40 प्रतिशत बिजली की मांग को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने खनन की अनुमति कायदे-कानून के तहत दी है इसलिए स्थगन आदेश की अर्जी को स्वीकार करने का कोई कारण नहीं बनता लिहाजा इसे खारिज कर दिया जाए।


केन्द्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वहां हसदेव क्षेत्र में कुल 23 कोयला प्रखंडों में से केवल चार प्रखंडों में खनन की अनुमति दी गयी है ताकि पारिस्थतिकीय संतुलन बना रहे और स्वस्थ विकास भी होता रहे। इसलिए वहां खनन के खिलाफ स्थगन का औचित्य नहीं बनता। कोयला खनन परियोजना का परिचालन करने वाली कंपनी परसा केन्ते कोयलरीज लि (पीकेसीएल) की तरफ उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी यह अंतरिम अर्जी नयी है और इसका जवाब देने के लिए कोई समय नहीं दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आरआरवीएनएल ने वहां पुनरोद्धारित क्षेत्र में और पहले ही आठ लाख पौधे लगवा चुकी है और जंगल विभाग भी वहां क्षतिपूरक वनीकरण के तहत 60 लाख पौध लगाने का काम पूरा कर चुका है। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने इस मामले में तत्काल अंतरिम राहत देना जरूरी नहीं समझा और अंतरिम आवेदन पर जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

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