नीति आयोग ने चंद्रशेखर राव के आरोपों से किया इन्कार, बैठक के बहिष्कार को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

हैदराबाद / नयी दिल्ली।  नीति आयोग ने संस्था की संचालन परिषद की रविवार को नयी दिल्ली में होने वाली बैठक के बहिष्कार के तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। आयाेग ने इस संबंध में नीति आयोग के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम लिखे गये  राव के पत्र में लगाये गये आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने हाल में उनके साथ एक बैठक के लिए उसके आवेदन का जवाब तक नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना के  राव ने केन्द्र पर मनमाने नीतिगत फैसले करने और आयोग की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए रविवार की बैठक से अपने को दूर रखने की हैदराबाद में शनिवार को घोषणा की। नीति आयोग के बयान में कहा गया है कि आयोग सहकारी संघवाद को मजबूत करने के उद्देश्य से बनायी गयी संस्था है और इसका संकल्प राज्यों को मजबूत कर भारत को मजबूत राष्ट्र बनाना है। राज्यों के साथ मिलकर इस दिशा में कई कदम उठाये गये हैं। केवल पिछले साल ही आयोग उपाध्यक्ष और सदस्यों ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 30 बैठकें की थी। इन बैठकों में राज्यों और केन्द्रीय मंत्रालयों के बीच विभिन्न मुद्दों का समाधान हुआ और आयोग तथा राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त्र हुआ। आयोग के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हैदराबाद में पिछले वर्ष 21 जनवरी को तेलंगाना से जुड़े मुद्दों पर श्री राव के साथ बैठक की थी। बयान में कहा गया है कि हाल में आयोग ने श्री राव से मुलाकात का समय मांगा था लेकिन उनकी ओर से जवाब नहीं आया। आयोग ने कहा है कि मुख्यमंत्री का यह आरोप सही नहीं है कि राज्यों को आयोग का एजेंडा तैयार करने में राज्यों को शामिल नहीं किया गया है।

बयान में कहा गया है कि सात अगस्त की संचालन परिषद की बैठक के संबंध में जून में धर्मशाला में राज्यों के मुख्य सचिवों की धर्मशाला में बैठक हुई थी जिसमें तेलंगाना सहित सभी राज्यों के मुख्य सचिव शामिल हुए थे। आयोग ने कहा है कि केन्द्र सरकार सभी मंत्रालयों और प्रधानमंत्री कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ निरंतर संपर्क करता है। केन्द्र सरकार द्वारा तेलंगाना के साथ भेदभाव करने का खंडन करते हुए कहा गया है कि राज्या को जल जीवन मिशन के तहत पिछले चार साल में 3982 करोड़ रुपये दिये गये जिसमें से केवल 200 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया। आयोग ने कहा है कि तेलंगाना को केन्द्र से लगातार महत्वपूर्ण कार्यों के लिए मदद मिल रही है। राव ने केन्द्र पर राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए नीति आयोग की संचालन परिषद की रविवार को होने वाली बैठक में शामिल न होने की घोषणा की है। संचालन परिषद की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे जिसमें आयोग के सदस्योंं के अलावा सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारी शामिल होंगे।


राव ने हैदराबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा की।उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम चार पृष्ठ का एक पत्र लिखकर अपनी शिकायत जाहिर की है। उन्होंने पत्र में अखिल भारतीय सेवाओं की नियमावली में बदलाव करने और केन्द्र द्वारा बार-बार नये उपकर लगाकर राज्यों को करों में उनके न्यायाेचित हिस्से से वंचित करने की शिकायत की है। राव ने नये कृषि कानून लाने और बिजली क्षेत्र में सुधार के फैसलों को एकतरफा बताते हुए कहा है, “ भारतीय संविधान में विहित सहयोगपूर्ण संघवाद की मंशा की जानबूझकर उपेक्षा की जा रही है। कृषि, बिजली जैसे राज्यों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एकतरफा ढंग से विधेयक लाने की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी इसका उदाहरण हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा है, “ नीति आयोग को इस उदात्त उद्देश्य से शुरू किया गया था कि केन्द्र और राज्यों में सहमति बढ़े ताकि सहयोगपूर्ण संघवाद की सच्ची भावना के साथ हमारे देश में न्यायपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जा सके। उद्देश्य यह था कि इससे केन्द्र और राज्य मिलकर ‘टीम इंडिया’ की तरह काम करेंगे और भारत काे एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभारने में मदद करेंगे। ”

राव ने आरोप लगाया है कि नीति आयोग की बैठकों का एजेंडा तय करने में राज्यों को शामिल नहीं किया जाता, योजना आयोग के दौर में राज्यों की वार्षिक योजनाओं के बारे में विस्तृत बैठकें हुआ करती थीं लेकिन अब न तो कोई योजना है और न ही राज्यों को इसमें शामिल किया जाता है। नीति आयोग और उसकी बैठकों का कोई रचनात्मक उद्देश्य नहीं रह गया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि केन्द्र सरकार के एकतरफा फैसलों और राज्यों के हितों की उपेक्षा से देश विकास की राह से भटक गया है और यह देश की जनता के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, “ मैं दोहराना चाहूंगा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत का विकास तभी संभव हो सकता है जब राज्यों का विकास हो। मजबूत और आर्थिक रूप से संपन्न राज्यों के होने से ही भारत मजबूत देश बन सकता है। ” उन्होंने कहा, “ इन तथ्यों के मद्देनजर मैं नीति आयोग की सात अगस्त को होने वाली संचालन परिषद की बैठक में शामिल होने की उपयोगिता नहीं देख पा रहा हूं और मैं राज्यों के साथ भेदभाव किये जाने और उन्हें भारत को एक मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने के हमारे सामूहिक प्रयास में बराबर के भागीदार के रूप में न देखे जाने के विरोध में इस बैठक से अपने काे दूर रखता हूं। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस बैठक के एजेंडे में अन्य बातों के साथ-साथ फसलों के विविधीकरण और तिलहन, दालों तथा कृषि-समुदायों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-स्कूली शिक्षा का कार्यान्वयन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-उच्च शिक्षा का कार्यान्वयन और शहरी प्रशासन संबंधी विषय शामिल हैं।

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