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संगीतकार नहीं अभिनेता बनना चाहते थे जयदेव

..पुण्यतिथि 06 जनवरी के अवसर पर ..

मुंबई, 

अपने संगीतबद्ध गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले संगीतकार जयदेव अभिनेता बनना चाहते थे। 03 अगस्त 1919 को लुधियाना में जन्में जयदेव का रूझान बचपन के दिनो से ही फिल्मों की ओर था। जयदेव अभिनेता के रूप मे अपनी पहचान बनाना चाहते थे।अपने सपने को पूरा करने के लिये वह 15 वर्ष की उम्र मे ही घर से भागकर फिल्म नगरी मुंबई आये जहां उन्हें बतौर बाल कलाकार वाडिया फिल्मस निर्मित आठ फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला। इस बीच जयदेव ने कृष्णाराव और जर्नादन राव से संगीत की शिक्षा भी ली।कुछ वर्षो के बाद जयदेव अपने पिता की बीमारी के कारण मुंबई फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ वापस अपने घर लुधियाना आ गये। पिता की अकस्मात मृत्यु के बाद परिवार और बहन की देखभाल की सारी जिम्मेदारी जयदेव के उपर आ गयी।

अपनी बहन की शादी के बाद वर्ष 1943 में वह लखनऊ चले गये और वहां उन्होंनें उस्ताद अली अकबर खान से संगीत की शिक्षा हासिल की। बचपन से ही मजबूत इरादे वाले जयदेव अपने सपनों को साकार करने के लिये एक नये जोश के साथ फिर मुंबई पहुंचे। वर्ष 1951 में जयदेव को नवकेतन के बैनर तले निर्मित बनी फिल्म आंधिया में सहायक संगीतीकार काम करने का मौका मिला । इसके बाद जयदेव ने महान संगीतकार एस.डी.बर्मन के सहायक के रूप में भी काम किया। इस बीच जयदेव ने अपना संघर्ष जारी रखा ।शायद नियति को यह मंजूर था कि जयदेव संगीतकार ही बने इसलिये फिल्मककार चेतन आंनद ने उन्हें अपनी ही फिल्म जोरू का भाई में संगीतकार के रूप मे काम करने का मौका दिया। इस फिल्म के जरिये पहचान बनाने मे वह भले ही सफल नही हो पाये लेकिन एक संगीतकार के रूप मे उन्होनें अपने सिने करियर का सफर शुरू कर दिया।

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