केंद्र की नीतियां समाज के सभी वर्गों के लिए समावेशी: नड्डा

नयी दिल्ली, 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा है कि केंद्र सरकार की नीतियां और कल्याणकारी योजनाएं समाज के सभी वर्गों के लिए समावेशी और सर्व-स्पर्शी विकास की अवधारणा को दर्शाती हैं। श्री नड्डा ने मंगलवार को यहां भाजपा युवा मोर्चा (भाजयुमो) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना युवा कार्यकर्ताओं का कर्तव्य बन जाता है कि सरकार की लोक-कल्याणकारी योजनाओं में से प्रत्येक जमीनी स्तर पर कुशलता से सफलतापूर्वक लागू हो और क्रियान्वित हो। उन्होंने कहा, “युवा परिवर्तन का वाहक और बदलाव का उत्प्रेरक है, जब अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों ने कोरोना संकट की इस घड़ी में खुद को सामाजिक ज़िम्मेदारी से अलग कर देश की जनता से मुंह मोड़ लिया था, तब हमारे युवा मोर्चा के कार्यकर्ता अपने प्राणों की परवाह न करते हुए उस विकट परिस्थितियों में भी लोगों की मदद के लिए सड़क पर काम कर रहे थे।” श्री नड्डा ने कहा कि भाजपा देश में एकमात्र ऐसा संगठन है जिसने जातिवाद, भाई-भतीजावाद, तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार की राजनीति को तिलांजलि दे दी है।


भाजयुमो के अध्यक्ष एवं सांसद तेजस्वी सूर्या के नेतृत्व में आयोजित इस बैठक में देश की डिजिटल संप्रभुता की रक्षा से जुड़ा राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि डेटा की गोपनीयता, डिजिटल सीमाओं और बड़ी तकनीकी कंपनियों एवं देश-प्रदेश के संप्रभु कानूनों के बीच संघर्ष को भाजपा गंभीरता से लेती है। भाजयुमो प्रस्ताव ने डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों को मजबूत करने के लिए कई सुझाव दिए। इसने प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) को बिना किसी अपवाद के घरेलू कानूनों का पूरी तरह से पालन करने का आह्वान किया है। कंपनियों को देश के कानून द्वारा निर्धारित सभी आवश्यक प्रक्रियाओं और प्रावधानों को संस्थागत बनाना चाहिए। भाजयुमो ने आर्थिक संकल्प भी पारित किया, जिसमें नेहरूवादी समाजवाद और कांग्रेस के लाइसेंस-राज की आलोचना करते हुए कहा गया कि दशकों की आत्म-पराजय और आत्म-दुर्बल नीतियों को खत्म करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अंत्योदय पर आधारित आर्थिक नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांति ला दी है। इसमें कहा गया कि लंबे समय से प्रतीक्षित सुधार, वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) सुधारों के माध्यम से लाए गए सहकारी संघवाद की भावना को मजबूती मिली है।

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