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श्रीलंका में तमिलाें की स्थिति को लेकर भारत ने की आलोचना

नयी दिल्ली।  भारत ने श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यकों के मुद्दे के राजनीतिक समाधान के लिए वहां की सरकार के रवैये की आलोचना करते हुए आज अपील की कि श्रीलंका जल्द से जल्द संविधान के 13वें संशोधन को लागू करे और सभी प्रांतीय परिषदों के चुनाव जल्द से जल्द कराये ताकि देश के सभी नागरिकों की उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षाएं पूरी हो सकें। भारत के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका में मानवाधिकार, जवाबदेही एवं सुलह को प्रोत्साहन संबंधी एक रिपोर्ट पर संवाद के दौरान अपने बयान में श्रीलंका की आलोचना की। बयान में कहा गया कि भारत ने हमेशा ही माना है कि मानवाधिकारों का संरक्षण एवं संवर्धन, रचनात्मक अंतरराष्ट्रीय संवाद, संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के सिद्धांतों से निर्देशित सहयोग सदस्य राष्ट्रों की जिम्मेदारी है। इस संबंध में भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस बात को लेकर चिंतित है कि श्रीलंका सरकार की ओर से जातीय मुद्दे के राजनीतिक समाधान के लिए संविधान के 13वें संशोधन को लागू करना एवं सभी प्रांतीय परिषदों को अधिकार संपन्न बनाना एवं परिषदों के चुनाव कराने की दिशा में ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया जिसका आकलन किया जा सके। श्रीलंका में शांति एवं मेलमिलाप को लेकर भारत का दृष्टिकोण रहा है कि एक अखंड एवं अविभाज्य श्रीलंका के अंतर्गत ऐसा राजनीतिक समाधान हो जिससे श्रीलंका के तमिलों को न्याय, शांति, समानता एवं गरिमा के साथ रहने का अवसर सुनिश्चित हो। श्रीलंका के मौजूदा संकट से इस ऋणग्रस्त अर्थव्यवस्था की मजबूरियों को उजागर किया है और इससे लोगाें के जीवनस्तर पर असर पड़ा है। यह श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ हित में है कि वह अपने नागरिकों की क्षमता वृद्धि एवं सशक्तीकरण के लिए प्रयास करे और इसके लिए ज़मीनी स्तर पर सत्ता का विकेन्द्रीकरण जरूरी है। बयान में कहा गया कि इस संबंध में प्रांतीय परिषदों का जल्द से जल्द चुनाव कराके उन्हें क्रियान्वित करने से श्रीलंका के सभी नागरिकाें को उनके उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षाओं को हासिल करने का मौका दिया जा सकेगा। हम श्रीलंका सरकार से अपील करते हैं कि इस संबंध में वह तत्काल विश्वसनीय कदम उठाये।

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