बिजली अभियंताओं की सांसदों से अपील, कहा- जल्दबाजी में पारित न करें विद्युत विधेयक

लखनऊ।

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने बजट को बताया निराशाजनक और  अन्यायपूर्ण - सत्योदय

बिजली अभियंताओं के एक अखिल भारतीय संगठन ने सांसदों से विद्युत (संशोधन) विधेयक को सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान जल्दबाजी में पारित न करने की अपील की है। ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने सभी सांसदों को पत्र लिखकर विद्युत (संशोधन) विधेयक-2020 को जल्दबाजी में संसद में न पारित करने की अपील की है। फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने रविवार को बताया कि शनिवार को भेजे गए पत्र में सांसदों से विधेयक को संसद की स्थाई समिति में भेजने में प्रभावी भूमिका निभाने का अनुरोध किया है ताकि विधेयक पर सभी हित धारकों को अपनी राय रखने का पूरा अवसर मिल सके।

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दुबे ने कहा कि केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने राज्यों के बिजली मंत्रियों की पूर्व में आयोजित बैठक में आश्वासन दिया है कि राज्यों की राय को सम्मिलित करते हुए बिल में संशोधन किया जाएगा लिहाजा सांसदों को मांग करनी चाहिए कि बिल को संसद में रखने के पहले नया संशोधित मसविदा जारी किया जाए और उस पर सभी हितधारकों से दोबारा राय ली जाये। दुबे ने बताया कि फेडरेशन ने साथ ही सभी राज्यों के मुख्यमन्त्रियों को भी पत्र भेजकर बिल वापसी के लिए प्रभावी भूमिका निभाने की अपील की है। फेडरेशन ने पत्र में कहा है कि संविधान में बिजली समवर्ती सूची में है, जिसका मतलब है कि बिजली के मामले में राज्यों का बराबर का अधिकार है। ऐसे में देश के कई प्रान्तों की सरकारों द्वारा विद्युत (संशोधन) विधेयक-2020 के कई प्राविधानों पर गंभीर सवाल खड़ा कर देने के बाद जरूरी हो गया है कि बिल को वापस लिया जाये और बिल के सभी विवादस्पद प्राविधानों पर राज्य सरकारों सहित सभी हितधारकों खासकर बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों तथा इंजीनियरों के फेडरेशनों से विस्तृत वार्ता की जाए। दुबे ने कहा है कि बिल में कई दूरगामी परिवर्तन किये जा रहे हैं जिसमें बिजली का निजीकरण और सब्सीडी समाप्त करना भी शामिल है जिससे बिजली किसानों और गरीबों की पहुँच से दूर हो जाएगी।

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