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चुनावी बांड: सुप्रीम कोर्ट 15 फरवरी को सुनाएगा फैसला

नयी दिल्ली।  देश में राजनीतिक दलों के चंदे लिए 2018 बनाई गई चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने तीन दिनों की सुनवाई के बाद 02 नवंबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाएं एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, सीपीआई (एम), कांग्रेस नेता जया ठाकुर और अन्य की ओर से दायर कई थीं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि इस योजना ने किसी भी कंपनी को गुमनाम रूप से सत्ता में बैठी पार्टियों को रिश्वत देने की अनुमति देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के साथ ही इसे वैध बना दिया।

उन्होंने पीठ के समक्ष कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि लगभग सभी चुनावी बांड केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ दलों के पास गए हैं और कहा कि खरीदे गए 94 फीसदी चुनावी बांड एक करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में और बाकी 10 लाख रुपये के हैं। चुनावी बांड योजना 02 जनवरी 2018 को अधिसूचित की गई थी। इस योजना माध्यम से भारत में कंपनियां और व्यक्ति भारतीय स्टेट बैंक की अधिसूचित शाखाओं से बांड खरीदकर गुमनाम रूप से राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि योजना सभी योगदानकर्ताओं के साथ समान व्यवहार करती है और इसकी गोपनीयता महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि काले धन से हटकर एक विनियमित योजना की ओर बढ़ने से जनहित में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि इस योजना में केवाईसी का भी फायदा है। पार्टियों को सभी योगदान चुनावी बांड के माध्यम से लेखांकन लेनदेन के रूप में और सामान्य बैंकिंग चैनलों के भीतर होते हैं।

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