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कोविड-19 के कारण पटरी से उतर सकता है टीबी उन्मूलन अभियान

जिनेवा, 

कोविड-19 के कारण ट़यूबरक्यूलोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान और इलाज में दिक्कत आ रही है जिससे भारत समेत दुनिया के कई देशों में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या इस साल तेजी से बढ़ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की आज यहाँ जारी वैश्विक टीबी रिपोर्ट, 2020 में कहा गया है कि कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण दुनिया भर के देशों में टीबी के मरीजों की पहचान में काफी कमी देखी गई है। टीबी के सबसे अधिक मरीजों वाले तीन देशों भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस में साल के पहले छह महीने में नये मरीजों की संख्या में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। पहचान कम होने से इस साल टीबी से होने वाली मौतों में भारी वृद्धि हो सकती है।
World Health Organization advises delaying of nonessential dental care in  areas of COVID-19 community transmission | DentistryIQ
उल्लेखनीय है कि टीबी के मरीजों की पहचान होने के बाद उनका उपचार शुरू होने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। नियमित उपचार के अभाव में टीबी से मौत का खतरा काफी अधिक होता है। दुनिया के एक-चौथाई से अधिक टीबी मरीज भारत में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है “भारत में मार्च के आखिर से लेकर अप्रैल के अंत तक राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन के कारण टीबी के नये मरीजों की साप्ताहिक और मासिक संख्या में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद मरीजों की पहचान कुछ बढ़ी है, लेकिन जून के अंत तक भी यह मार्च से पहले की तुलना में काफी कम थी। सरकारी और निजी दोनों तरह के अस्पतालों में मरीजों की पहचान में गिरावट रही है।”
Australia Advocates Changing World Health Organization | Voice of America -  English
भारत ने वर्ष 2025 तक टीबी को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। मरीजों की पहचान नहीं हो पाने की स्थिति में उनका उपचार शुरू नहीं हो पायेंगा। ऐसे में टीबी उन्मूलन के लक्ष्य में देरी की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में जनवरी में टीबी के जितने मरीज सामने आये थे जून में उसकी तुलना में तीन-चौथाई से कम मरीजों की ही पहचान हो पाई है। अप्रैल में यह आँकड़ा घटकर 40 प्रतिशत के आसपास रह गया था।

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