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मन:प्रभावी पदार्थ(संशोधन) विधेयक की विषयवस्तु उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप : सीतारमण

नयी दिल्ली, 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (संशोधन) विधेयक – 2021 की विषयवस्तु उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप है। सोमवार को लोकसभा में इस विधेयक को चर्चा और पारित होने के लिए रखते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने 2014 में संबंधित कानून में हुए संशोधन में विसंगति की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा कि यही मामला त्रिपुरा उच्च न्यायालय में भी आया और उसने विसंगति को तत्काल सुधारने की बात कही। इसलिए विसंगति को दूर करने के लिए अध्यादेश लाया गया। विधेयक के संशोधन में उस सुधार के अलावा और कुछ नहीं है। विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि विधेयक को पूर्व प्रभाव से लागू करने से एक और कानूनी विसंगति पैदा हो जायेगी जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकेगी। विधेयक पर चर्चा में शामिल होते हुए बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य भर्तृहरि महताब ने संशोधन को लेकर पहले अध्यादेश जारी किये जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि अध्यादेश के जरिये कानून लागू करना ठीक नहीं है और इस प्रणाली को बदलना होगा। श्री महताब ने कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की तुलना में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( राजग ) सरकार में प्रतिवर्ष जारी किये जाने वाले अध्यादेशों की औसत संख्या बढ़ती जा रही है जो कानून बनाने का उचित तरीका नहीं है।


उन्होंने कहा , “ हमें देखना होगा कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने आदेश कब दिया और अध्यादेश कब लागू किया गया तो वस्तुस्थिति स्वत: ही स्पष्ट हो जाएगी। श्री महताब ने कहा कि 2014 में कानून में संशोधन में त्रुटि कैसे रह गई और पकड़ी कैसे नहीं गयी और इसे सुधारने में सात वर्ष क्यों लगे। उन्होंने कहा कि इसे पूर्व प्रभाव से लागू करने का प्रावधान एक और त्रुटि को पैदा कर देगा जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकेगी। हमें मजबूत कानून की जरूरत है जो लागू करने योग्य और स्पष्ट हो। चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) के सुभाष भामरे ने कहा कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने 1985 के कानून में 2014 में किये गये एक संशोधन में एक त्रुटि का पता लगाया और केंद्र सरकार को उचित कार्रवाई के निर्देश दिये। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप उचित व्याख्या के लिए संशोधन लाया गया। उन्होंने कहा कि संसद नहीं चल रही थी और तत्काल संशोधन की जरूरत थी इसलिए अध्यादेश लाया गया संशोधन में कोई नया अपराध शामिल नहीं किया गया है। श्री भामरे ने कहा कि मादक पदार्थों के माफियाओं ने समाज मे गहरी पैठ बना ली है ऐसे मामले हमने हाल ही में देखे जब सिनेमा जगत के कई व्यक्तियों के नाम ड्रग सेवन में सामने आए। वास्तविकता यह है कि हमारी युवा पीढ़ी ड्रग्स की गिरफ्त में आ चुकी है जो चिंताजनक है। चर्चा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस विधेयक को पूर्व प्रभाव से लागू किये जाने के प्रावधान पर सवाल उठाया और कहा कि अगर यह इसी रूप में लागू हो गया तब संविधान के अनुच्छेद 20 का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक यदि कानून बन गया तो इसको अदालत में चुनौती दी जाएगी जहां यह नहीं टिक पायेगा। श्री तिवारी ने कहा कि सरकार विधेयक में संशोधन लेकर आये और यह तब से प्रभावी हो जब इसकी अधिसूचना जारी हो। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में राजनीतिक हालात बदलने और तालिबान की सत्ता आने से मादक पदार्थों की भारत मे तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है जो चिंताजनक है इसलिए सरकार को इन्हें रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।  द्रविड़ मुनेत्र कणषम (द्रमुक ) के वीरास्वामी कलानिधि ने कहा कि इस विधेयक के लिए अध्यादेश लाने की क्या आवश्यकता थी जब दो महीने बाद ही संसद सत्र शुरू होने वाला था। उन्होंने कहा कि छोटी मात्रा में निजी शौक के लिए ड्रग सेवन करने वालों को कड़ी सज़ा देने की बजाए उन्हें सुधारने के लिए पुनर्वास की कोशिश की जानी चाहिए। श्री कलानिधि ने कहा कि मुंद्रा पोर्ट पर हाल में मादक पदार्थ का बहुत बड़ा जखीरा पकड़ा गया लेकिन उस बारे में सब खामोश है और उसकी कोई चर्चा नहीं है यह हैरानी की बात है। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि केवल कर से जुड़े कानून पूर्व प्रभाव से लागू किये जा सकते हैं लेकिन आपराधिक और दीवानी मामलों के लिए पूर्व प्रभाव से कानून लागू नहीं किया जा सकता। इस विधेयक की असली परीक्षा उच्चतम न्यायालय में होगी । विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि हाल ही में त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने कहा था कि स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम की धारा 27क की विसंगति को ठीक करने के लिये धारा 27क के खंड 8क के स्थान पर 8ख प्रतिस्थापित करने का निर्णय किया गया है ताकि इसके विधायी आशय को पूरा किया जा सके।

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