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रेलवे ने दो करोड़ लोगों को लगवाई संगम में डुबकी

नयी दिल्ली।  भारतीय रेलवे ने आधिकारिक रूप से महाकुंभ के लिए साढ़े नौ हजार से अधिक ट्रेनों के माध्यम से दो करोड़ से ज्यादा लोगों को पवित्र डुबकी लगाने का अवसर दिया है। रेल मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार रेलवे ने 13 जनवरी से लेकर 11 फरवरी को अपराह्न तीन बजे तक सात हजार नियमित ट्रेनों एवं 2600 कुंभ स्पेशल ट्रेनों की मदद से दो करोड़ चार हजार यात्रियों (आधिकारिक आंकड़ा) को संगम में डुबकी लगाने का अवसर प्रदान किया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग बिना टिकट यात्रा करके भी प्रयागराज पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के निर्देश हैं कि रेलवे की कोशिश होनी चाहिए कि किसी भी श्रद्धालु को तकलीफ नहीं हो। इसके लिए रेलवे ने यात्रियों के लिए होल्डिंग एरिया बनाने, पानी एवं भोजन के लिए यथासंभव व्यवस्था की है।

अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन सबसे अधिक 27.75 लाख यात्रियों को प्रयागराज से आवाजाही सुलभ करायी। मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के बाद अब फिर से यात्रियों की आवाजाही बढ़ गयी है लेकिन रेलवे की मुस्तैदी बनी हुई है। मंगलवार को भी अपराह्न तीन बजे तक 164 विशेष गाड़ियां चलायीं गयीं हैं और आठ लाख 61 हजार यात्रियों का परिवहन किया है। उन्होंने कहा कि हर रैक 20 से 24 कोच वाला है और एक फेरे में कम से कम तीन हजार यात्रियों को लाया ले जाया जा रहा है।

सुरक्षा के बारे में पूछे जाने पर अधिकारियों ने कहा कि प्रयागराज के सभी स्टेशनों पर करीब 14 हजार सुरक्षा कर्मी तैनात किये गये हैं जिनमें सात हजार आरपीएफ के जवान और बाकी सिविल पुलिस है। रेलवे की तैयारियों की चर्चा करते हुए अधिकारियों ने कहा कि देश भर से ईएमयू, मेमू के करीब 330 रैक मंगाये गये हैं और कुछ गाड़ियों में दोनों तरफ इंजन लगा कर संचालन किया जा रहा है ताकि शंटिंग नहीं करना पड़े और यात्रियों को अविलंब गंतव्य तक पहुंचाया जा सके। इन गाड़ियों के संचालन के लिए करीब दो हजार गार्ड एवं लोकोपायलटों को भी विभिन्न स्थानों से लाकर कुंभ ड्यूटी में लगाया गया है।

अधिकारियों के अनुसार रेलवे ने प्रयागराज के आसपास कुल नौ स्टेशनों को कुंभ की जरूरतों के हिसाब से विकसित किया है। प्रयागराज संगम स्टेशन बंद किये जाने को लेकर उठे विवाद के बारे में अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि हर महास्नान वाले दिन संगम स्टेशन को बंद करने की परंपरा पुरानी रही है। ये कोई नयी बात नहीं है। भीड़ प्रबंधन के लिए यह निर्णय रेलवे नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार लेती है।