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राफेल: नई याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने 2016 के राफेल लड़ाकू विमान सौदे के मामले में एक फ्रांसीसी पोर्टल के कथित ‘नए खुलासे’ के आधार पर जांच की मांग करने वाली एक नई जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा इसी तरह की याचिकाओं को खारिज करने के पिछले फैसले के मद्देनजर तत्काल मामले पर विचार नहीं किया जा सकता है। वकील एम एल शर्मा की ओर से दायर एक नई याचिका में कहा गया था कि रफाल लड़ाकू विमान निर्माता कंपनी ‘डसॉल्ट एविएशन’ ने यहां के बिचौलियों को लगभग एक मिलियन यूरो का भुगतान किया था। उन्होंने याचिका में कहा कि इस संबंध में फ्रांस के एक पोर्टल ने नए खुलासे किए हैं। श्री शर्मा ने अपनी पीठ के समक्ष बार-बार गुहार लगाते हुए कहा कि रिश्वत के भुगतान की खबरें थीं और सीबीआई और ईडी को इसकी जांच करने के लिए कहा जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा,“जब मैंने 2021 में यह याचिका दायर की तो यह पाया गया कि डसॉल्ट ने अनुबंध को सुरक्षित करने के लिए एक राशि का भुगतान किया था। कानून के दायरे में अनुबंध रद्द होता है। यह याचिका एक प्रकार का अनुरोध पत्र जारी करने के लिए है। दस्तावेजों को मंगवाया सकता है। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष कहा अगर फ्रांसीसी एजेंसी ने कहा कि रिश्वत के रूप में एक अरब यूरो का भुगतान किया गया था तो हमें उन कागजातों को देखने की जरूरत है और इस तरह रोगेटरी के पत्रों की जरूरत है। पीठ के समक्ष दलील के दौरान उन्होंने कहा,“मेरा कोई निजी एजेंडा नहीं है। श्री शर्मा की इन दलीलों का पीठ पर कोई असर नहीं पड़ा और उसने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, “आप ऐसी याचिका दायर नहीं कर सकते हैं। श्री शर्मा ने अपनी याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डेफिस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के सुशेन मोहन गुप्ता और डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) को इस मामले में पक्षकार बनाया है। शीर्ष अदालत ने 14 दिसंबर 2018 को भी वकील श्री शर्मा एवं अन्य की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। उन याचिकाओं में याचिकाओं में रफाल सौदे की जांच की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं को 14 नवंबर 2019 को खारिज कर दी थी। श्री शर्मा ने अपनी याचिका भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत भ्रष्टाचार की रोकथाम के साथ अपराधों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग अदालत से की थी। याचिका में ‘धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और आधिकारिक गुप्त अधिनियम के तहत अपराध’ मानते हुए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 2016 के समझौते को रद्द करने के लिए एक निर्देश देने की मांग की थी। इसके अलावा पूरे अग्रिम धन को जुर्माने के साथ वसूल करने और भविष्य के रक्षा सौदों में डसॉल्ट एविएशन को ब्लैकलिस्ट करने का निर्देश जारी करने की गुहार लगाई गई थी।

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