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अमेज़ॅन-फ्यूचर कानूनी लड़ाई समाप्त करने का सुप्रीम कोर्ट में प्रस्ताव

नयी दिल्ली,

अमेज़ॅन और फ्यूचर समूह के बीच करीब 18 महीने चल रहे लगभग 24, 500 करोड़ रुपए व्यापारिक साझेदारी सौदे से संबंधित कानूनी विवाद सुलझाने का प्रस्ताव गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंपीठ के समक्ष अमेज़ॅन ने फ्यूचर ग्रुप से अपना विवाद समाप्त करने का प्रस्ताव रखा। इस पर खंडपीठ ने पीठ कहा कि संबंधित पक्ष यदि अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के इच्छुक हैं तो यह एक अच्छा संकेत है। शीर्ष अदालत ने प्रस्ताव के मुताबिक समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों को 15 मार्च 2022 तक का समय दिया। फ्यूचर रिटेल के रिलायंस रिटेल को करीब 24,500 करोड़ रुपये में अपनी खुदरा संपत्ति बेचने के कदम पर फ्यूचर ग्रुप और एमेजॉन के बीच 25 अक्टूबर, 2020 से कानूनी लड़ाई चल रही है। विवाद समाप्त करने के प्रस्ताव के मद्देनजर खंडपीठ ने संबंधित अदालतों से इस मामले में कोई आदेश सुनाने पर रोक लगाने को भी कहा ताकि पक्षकारों को बातचीत करने की अनुमति मिल सके। शीर्ष अदालत ने इस बात पर गौर किया कि कानूनी लड़ाई से संबंधित कार्यवाही राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) और दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष चल रही है। अमेज़न का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने खंडपीठ के समक्ष कहा, “हमने हमेशा माना है कि किसी मामले के अन्य समाधान भी हो सकते हैं… आइए हम सब मिलकर विचार करें।

उन्होंने कहा व्यापारिक समूहों के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए फ्यूचर रिटेल और फ्यूचर कूपन के साथ बातचीत का प्रस्ताव रखा गया है। फ्यूचर समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि इस कानूनी लड़ाई में कोई नहीं जीत रहा है। साल्वे ने चुटकी लेते हुए कहा,“अमेज़ॅन देवताओं को हम नश्वर लोगों से बात करने के लिए नीचे आना होगा।” उन्होंने कहा कि अगर अमेज़न बातचीत करना चाहता है तो उसके बॉस को (फ्यूचर ग्रुप के चेयरमैन किशोर बियाणी) को कॉल करने से क्या चीज रोक रही है? न्यायमूर्ति रमना की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की खंडपीठ ने साल्वे से कहा, “यह कहने के बजाय कि उन्हें फोन उठाना चाहिए और कॉल करना चाहिए, आप ऐसा होने की सुविधा क्यों नहीं देते?” इस पर साल्वे ने कहा कि उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है। खंडपीठ ने वरिष्ठ वकील साल्वे से कहा, “यदि आप कोई समाधान निकाल सकते हैं तो हमें बताएं। हम सुनेंगे और आदेश पारित करेंगे।”

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