यूरोपीय संघ का भारत स्वाभाविक भागीदार : पीयूष
नयी दिल्ली,
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) के लिए भारत सबसे स्वाभाविक सहयोगी साबित हुआ है और इसे बढ़ाने की व्यापक गुंजाइश है। श्री गोयल ने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के राजदूतों को संबोधित करते हुए कहा कि यूरोपीय संघ और भारत की साझेदारी सुशासन, विकास और विकास के मॉडल के रूप में उभर सकती है। उन्होंने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ का विविधता का चरित्र लोकतंत्र और विधि के नियम साझा करता है। दोनों पक्ष मजबूत आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, रणनीतिक और राजनीतिक संबंध भी साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। यूरोपीय संघ के देश सामूहिक रूप से भारत के लिए सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार हैं, साथ ही साथ भारत के सबसे बड़े निवेशकों में से एक हैं। भारत-यूरोपीय संघ का आयात-निर्यात प्रवाह संतुलित और पूरक है। अनुसंधान और नवोन्मेष में भारत-यूरोपीय संघ के सहयोग में काफी विस्तार हुआ है, और इसे और बढ़ाने की बड़ी गुंजाइश है।
कोरोना महामारी का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2020 में दुनिया के संकल्प और दृढ़ संकल्प का परीक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने सबसे सख्त लॉकडाउन लागू किया है क्योंकि हम दृढ़ता से ‘लाइव्स मैटर’ मानते हैं। लॉकडाउन के दौरान, बुनियादी ढांचे जैसे वेंटिलेटर, आईसीयू बेड, पीपीई किट इत्यादि को तैयार करने में सक्षम हुए। लॉकडाउन के बावजूद, भारत ने विशेष रूप से सेवाओं में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा किया और किसी भी श्रृंखला को प्रभावित नहीं होने दिया। श्री गोयल ने कहा कि खाद्यान्न, सब्जियां, दूध, दवा आदि जैसी आवश्यक वस्तुएं प्रत्येक घर तक पहुंचायी गयी। धीरे-धीरे अनलॉक होने के बाद, सरकार के प्रयासों ने अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति में वापस लाया गया। इसने जीवन और आजीविका के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखा। उन्होंने कहा कि सरकार इस तथ्य के प्रति सचेत है कि दूसरी लहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या और भी चिंताजनक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार आजीविका की रक्षा करते हुए महामारी को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही है। श्री गोयल ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, दुनिया भर में निवेश में गिरावट आई है, लेकिन वे भारत में बढ़े हैं। यह दिखाता है कि दुनिया भारत की वास्तविक क्षमता की सराहना और पहचान भी करती है, जो स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड एफडीआई और पोर्टफोलियो संख्या से स्पष्ट है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संकट के सामने आने के बाद, प्रधानमंत्री ने ‘संकट को अवसर में बदलने’ की भावना के साथ भारत के लिए आत्मनिर्भर भारत अर्थात स्व-विश्वसनीय भारत का स्पष्ट आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आत्मानिर्भर भारत का अर्थ संरक्षणवादी होना नहीं है, बल्कि यह भारत और विश्व के लिए उत्पादन पर केंद्रित है । यह विचार भारत को ‘ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनाने के लिए है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां देश में प्रतिस्पर्धी ताकत है।