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फिलिस्तीनियों को वापसी का अधिकार नहीं मिलेगा:ट्रम्प

वाशिंगटन।  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक विवादित बयान में कहा है कि फिलिस्तीनी लोगों को गाजा पट्टी से विस्थापित किए जाने के बाद उन्हें वहां वापस लौटने का अधिकार नहीं होगा। श्री ट्रम्प ने ‘फॉक्स न्यूज’ को दिए एक साक्षात्कार में सोमवार कहा कि गाजा पट्टी के पुनर्निर्माण के बाद फिलिस्तीनी लोगों को वहां वापस नहीं आने दिया जाएगा।

श्री ट्रम्प के इस बयान का विरोध फिलिस्तीनी नेताओं और अन्य देशों के नेताओं ने किया है। जॉर्डन और मिस्र के नेताओं ने ट्रम्प के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे फिलिस्तीनी शरणार्थियों को अपने देश में शरण देने के लिए तैयार नहीं हैं।जब श्री ट्रम्प से पूछा गया कि गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनी, जिन्हें उनके प्रस्ताव के तहत जबरन विस्थापित किया जाएगा ताकि एन्क्लेव के पुनर्निर्माण के लिए जगह बनाई जा सके, क्या उन्हें ‘वापसी का अधिकार’ मिलेगा, तो उन्होंने कहा, “नहीं, वे ऐसा नहीं करेंगे।

राष्ट्रपति की यह टिप्पणी उनके सहयोगियों के बयानों के विपरीत है, जिनमें व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन लेविट भी शामिल हैं। उन्होंने पिछले सप्ताह कहा था कि गाजा के लोगों को केवल ‘अस्थायी रूप से स्थानांतरित’ किया जाएगा। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी गुरुवार को पत्रकारों से कहा, “जब तक गाजा का पुनर्निर्माण हो रहा है, तब तक लोगों को कहीं और रहना होगा। यह पूछने पर कि लगभग 20 लाख गाज़ावासी कहां जाएंगे, इस पर श्री ट्रम्प ने कहा, “मुझे लगता है कि मैं जॉर्डन और मिस्र के साथ एक समझौता कर सकता हूं।

जॉर्डन और मिस्र, फिलिस्तीन के पड़ोसी देश हैं।श्री ट्रम्प ने खुलकर दोनों देशों से गाजा के फिलिस्तीनियों को शरण देने का आग्रह किया है। राष्ट्रपति ने कल अपने ओवल कार्यालय में पत्रकारों से कहा कि यदि इन देशों ने उनकी मांग मानने से इनकार किया, तो वह ‘संभावित रूप से उनकी सहायता रोक सकते हैं। फिलहाल, जॉर्डन और मिस्र, जो पहले से ही बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी शरणार्थियों को शरण दिए हुए हैं, के नेताओं ने श्री ट्रम्प की यह मांग खारिज कर दी है।