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15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही है जैविक खेती

नयी दिल्ली।  देश में जैविक खेती का क्षेत्रफल लगातार बढ़ कर 15 लाख हेक्टेयर हो गया है और 25 लाख से अधिक किसानों को इस खेती से फायदा पहुंचा है। भारत सरकार ने किसानों की आजीविका में सुधार लाने के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने पर विशेष ध्यान देते हुये राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के तहत 2015 में परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की थी। जैविक खेती को इसी योजना के तहत बढ़ावा दिया जाता है। पिछले एक दशक में, पीकेवीवाई भारत के जैविक कृषि आंदोलन की आधारशिला बन गया है। इसने किसानों को पर्यावरण के अनुकूल नियमों को अपनाने, जैविक प्रमाणन हासिल करने और टिकाऊ तरीके से पैदावार करने को पुरस्कृत करने और उन्हें बाजारों से जुड़ने के लिए एक संगठित मंच प्रदान किया है।

क्लस्टर-आधारित पहल के रूप में शुरू हुयी यह योजना अब प्रशिक्षण, प्रमाणन और बाजार विकास की एक सशक्त व्यवस्था बन कर उभरी है। पत्र सूचना कार्यालय ने यह जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि पीकेवीवाई में इस साल फरवरी तक 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के अंतर्गत लाया जा चुका है। इसके अलावा 52,289 क्लस्टर बनाये गए हैं और इससे 25.30 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। जैविक कृषि पोर्टल पर दिसंबर 2024 तक 6.23 लाख किसान, 19,016 स्थानीय समूह, 89 इनपुट आपूर्तिकर्ता और 8,676 खरीदार पंजीकृत थे। पीकेवीवाई का उद्देश्य पर्यावरण-अनुकूल कृषि के मॉडल को आगे बढ़ाना है। यह मॉडल किसान के समूहों की कम लागत, रसायन-मुक्त तकनीकों के साथ साथ खाद्य सुरक्षा, आमदनी बढ़ाने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाता है। इसके अंतर्गत, जैविक खेती के तरीकों को अपनाने वाले किसानों को तीन वर्ष की अवधि के लिए 31,500 रुपए प्रति हेक्टेयर की मदद भी दी जाती है।