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बहुराज्य सहकारी सोसाइटी विधेयक राज्यसभा में पारित

नयी दिल्ली।  राज्यसभा ने सहकारी संस्थाओं में कामकाज को प्रभावी एवं पारदर्शी बनाने तथा सहकारी समितियों के प्रबंधन में एकाधिकार को समाप्त कर सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने वाले बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक को मंगलवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटास के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। राष्ट्रीय जनता दल के ए डी सिंह , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एलामारम करीम और जॉन ब्रिटास ने विधेयक के विभिन्न उपबंधों में संशोधन के भी प्रस्ताव दिये थे लेकिन इन सदस्यों के सदन में मौजूद नहीं रहने के कारण इन संशोधनों को पेश नहीं किया गया।

सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विधेयक में सहकारी तंत्र में चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए सहकारी सूचना अधिकारी चुनाव प्राधिकरण के गठन का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे सहकारी समितियों में निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार आयेगा और समितियों में समय पर चुनाव हो सकेंगे। इसके अलावा सहकारिता समिति के कामकाज में पारदर्शिता, अनुशासन और जवाबदेही आयेगी। उन्होंने कहा कि समितियों में महिला और अनुसूचित जाति के लिए एक- एक सीट के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से देश में रोजगार के अवसर बढेंगे।

उन्होंने कहा कि देश में सहकारिता का इतिहास 115 वर्ष पुराना है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसने नये आयाम हासिल किये हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता ने पिछले दो वर्षों में 48 नयी पहल की हैं और उनका क्रियान्वयन भी किया गया है। उन्होंने देश में सहकारिता के क्षेत्र में सरदार वल्लभभाई पटेल, यशवंत राव च्व्हाण, वर्गिस कुरियन के योगदान को नमन किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तीस लाख सोसाइटी हैं जिनमें से 8 लाख भारत में हैं जिनके 30 करोड़ सदस्य हैं। सरकार सहकार से समृद्धि के विजन पर कार्य कर रही है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विविधिकरण होगा और लोगों के जीवनस्तर में सुधार होगा।

वर्मा ने प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) को सहकारिता की आत्मा करार देते हुए कहा कि पैक्स अब 25 प्रकार की सेवाएं दे सकते हैं । पैक्स जनसेवा केन्द्रों का भी संचालन कर सकेंगे और इनके तहत जन औषधि केन्द्र भी खोले जायेंगे जिससे ग्रामीणों को सस्ती दवाओं का लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्द्रों को भी इसमें जोड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रव्यापी सहकारी डेटा बेस बनाने का 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा सहकारी विश्वविद्यालय बनाने पर भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का देश भर में दो लाख पैक्स खोलने का लक्ष्य है। इसके साथ ही आग्रेनिक खेती को बढावा देने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

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