मार्तण्ड साहित्यिक संस्था लखनऊ के तत्त्वावधान में आयोजित महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न
लखनऊ,
मार्तण्ड साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं समाजिक संस्था, भारत,लखनऊ पंजीकृत के तत्त्वावधान में आयोजित 150 वीं महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष में सरस काव्य गोष्ठी /कवि सम्मेलन हरदोई के जाने-माने कवि लेखक/इतिहासकार रामदयाल वर्मा की अध्यक्षता तथा सुरेश कुमार राजवंशी के संयोजन एवं कुशल संचालन में सम्पन्न एवं कार्यकम का शुभारम्भ उत्तराखंड के कवि रामरतन यादव की वाणी वंदना से प्रारंभ हुआ । रामदयाल वर्मा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती की ई० सरस काव्य गोष्ठी / कवि सम्मेलन के अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा की महात्मा गांधी एवं शास्त्री जी भारत के दो ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने 2 अक्टूबर को जन्म लेकर इस पावन धरती को धन्य किया, उन्होंने एक लाठी एक धोती से अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर क्रूर अंग्रेजों को भारत से भगा दिया और संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरो कर राष्ट्रपिता कहलाए।
वहीं दूसरी ओर शास्त्री जी शांत, सौम्य व्यक्तित्व के धनी हरित क्रांति के संवाहक, जय जवान जय किसान का नारा लगाने वाले भारत को उन्नति पथ पर अग्रसर करने वाले हमारे देश के प्रधानमंत्री के पद को गौरवान्वित किया।और हम सभी के लिए एक स्वच्छ , सशक्त आचरण का उदाहरण प्रस्तुत किया। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर हमारी सभी साहित्यकारों व कलमकार विद्वानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
रामदयाल वर्मा ने राज नीति मे चल रहा नारे बाजी का खेल, नित नूतन शब्दावली, पेरि निकाले तेल।। सुनाकर वाहवाही लूटी। कवि पण्डित बेअदब लखनवी ने–उठो देवियों शस्त्र उठा लो,रण चण्डी बन जाओ तुम, चीर हरण जो करने आए उसका वध कर डालो तुम।सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया और वाह वाही लूटी। कवियत्री पं.विजय लक्ष्मी मिश्रा ने- है अपना प्यारा हिन्दुस्तान फिदा हो क्यूँ न इस पर जान, वतन से प्यार है मुझको, वतन से प्यार है मुझको।सुनाकर वाहवाही लूटी।
वहीं संचालक कवि सुरेश कुमार राजवंशी ने- दो अक्टूबर को जन्में मा भारत में दो लाल, जिनका लोहा विश्व जगत में ऐसा किया कमाल।ऐसे दिव्य सपूतों को करते सदा प्रणाम।वो दिव्य पुरुष थे गांधी महात्मा दूजे बहादुर लाल,सुनाकर वाहवाही लूटी ।
रामरतन यादव ने- भारत की आशा गांधी, भारत विधाता गांधी|सच्चाई की राह चल, आजादी दिलाई थी|सुनाकर वाहवाही लूटी ।
सन्तोष सिहं हंसौर ने- खुले रहें भाग्य हिन्दुस्तनवा हो जन्में मोहन दास ललनवां माता पुतली मनै मन उमगै पिता कर्मचंद लुटावैं अन्न धनवाहो।सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया और वाह वाही लूटी। सत्यपाल सिंह”सजग” ने- भारत माता पर गोरों ने जब जब की मनमानी, अपने वतन की खातिर आगे आए हिन्दुस्तानी सुनाकर वाहवाही लूटी । अन्त में संस्था के अध्यक्ष श्री सरस्वती प्रसाद रावत जी ने धन्यवाद ज्ञापित कर समारोह का समापन किया।