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लाहौर हाईकोर्ट ने पंजाब के मुख्यमंत्री के चुनाव पर फैसला सुरक्षित रखा

इस्लामाबाद, 

लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) ने मंगलवार को उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री के चुनाव पर हस्तक्षेप करने की मांग की गयी थी। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री का चुनाव कराने के लिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज), पीएमएल-क्यू और पंजाब विधानसभा सचिवालय सत्र के दौरान ‘तटस्थ’ व्यक्ति पर फैसला नहीं कर सका जिसके कारण न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था। वहीं, इलाही के वकील ने कहा कि यह मामला अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और इसलिए इसे पंजाब विधानसभा के नियमों के अनुसार हल किया जाना चाहिए । उन्होंने आगे कहा कि सदन को बुलाना इसके स्थगन और वापसी का अदालत से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल एक प्रक्रियात्मक मुद्दा था, न कि संवैधानिक । पीएमएल-क्यू, पंजाब असेबंली सचिवालय और पंजाब विधानसभा स्पीकर के वकील पीएमएल-एन के साथ सत्र की नई तारीख पर समझौता करने में विफल रहे, लेकिन उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री के चुनाव का सत्र 16 अप्रैल को होगा।


पीएमएल-एन के वकील ने पीठ को बताया कि संविधान ने डिप्टी स्पीकर को सदन की अध्यक्षता करने से नहीं रोका, क्योंकि वह अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद प्रधानमंत्री का चुनाव करने के लिए सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। पीएमएल-क्यू, पंजाब असेंबली सचिवालय और इलाही का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के अनुसार अध्यक्ष की शक्तियां चुनाव के दिन डिप्टी स्पीकर को सौंपी जाएंगी, लेकिन चूंकि डिप्टी स्पीकर इस समय विवादास्पद है, इसलिए विधायकों का एक चार सदस्यीय पैनल सत्र की अध्यक्षता करेगा। जिस पर पीएमएल-एन के वकील ने आपत्ति जताते हुए कहा कि पीटीआई विधायक मियां शफी, अध्यक्ष के पैनल के सदस्य के रूप में पीएमएल-एन को स्वीकार्य नहीं थे। पीएमएल-एन के वकील ने अदालत तो सुझाव दिया कि एक निर्दलीय उम्मीदवार सत्र की अध्यक्षता कर सकता है क्योंकि वे किसी पार्टी से संबंधित नहीं हैं,लेकिन इस सुझाव को भी खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने विस्तृत दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

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