बांस उद्योग में 30 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ने की क्षमता: गडकरी
नयी दिल्ली,
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने बांस की मांग बढ़ाने और इसे कोयले के विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि बांस उद्योग को 30 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। श्री गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘बांस प्रौद्योगिकी, उत्पाद और सेवाओं’ पर एक वर्चुअल प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा कि बाँस की माँग बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोयले के विकल्प के रूप में बांस का उपयोग करने की क्षमता है और इसका उपयोग निर्माण कार्यों में भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की सड़कों के लिए जूट और कॉयर मैट्रेसेज का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने जूट, कॉयर और बांस जैसी पारंपरिक सामग्रियों के और अधिक विकास की वकालत की।
केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि सभी पक्षधारकों के एकीकृत प्रयासों से देश में बांस उद्योग 25-30 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा। कम लागत और आकर्षक उत्पाद डिजाइनों से बांस का उपयोग और मांग बढ़ सकती है जिससे लोगों को बांस रोपण का भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने बांस को बढ़ावा देने से संबंधित किसी भी योजना के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय से सभी सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हमें उत्पाद विकास, बाजार समर्थन के लिए अधिक शोध, अधिक उपयुक्त दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बांस और बांस के डंडे के लिए रेलवे से 50 फीसदी सब्सिडी लेने की कोशिश की जा रही है। बांस के उपयोग और आवश्यकता को बढ़ाने से इसके रोपण में वृद्धि होगी। बांस का इस्तेमाल बायो-सीएनजी और चारकोल बनाने के लिए भी किया जा सकता है।