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मनी लाँडरिंग के मामले में एसबीआई के तीन बैंक सहित पांच को सजा

नयी दिल्ली।  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किए गए बैंक धोखाधड़ी से संबंधित धन शोधन के एक मामले में हैदराबाद के सत्र न्यायालय ने धन शोधन रोधी अधिनियम के तहत एक कंपनी के दो कर्मचारियों और तीन बैंक अधिकारियों को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है और उन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना किया है। यह जानकारी ईडी की मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति में दी गयी। यह मामला भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा स्वीकृत 2,08,50,000 रुपये के कर्ज में गबन से जुड़ा है जो फर्जी कागजात के आधार पर स्वीकृत कराया गया था।

ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)की हैदराबाद स्थित भ्रष्टाचार निरोधन शाखा द्वारा दर्ज मामले के आधार पर मनी लांडरिंग कानून के तहत इसकी जांच शुरू की थी। ईडी ने कहा कि हैदाराबाद मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायालय ने धन शोधन रोधी अधिनियम की घारा की धारा 3 के तहत मैसर्स चक्किलम ट्रेड हाउस लिमिटेड के दो कर्मचारियों श्रीमती टी जयश्री और एम चिन्ना तथा तीन बैंक अधिकारी एस नरसिम्हन, ए सेसिभूषण राव और एस आरोग्यम को सजा और जुर्माना सुनाया है।

अदालत ने चक्कीलम ट्रेड को भी एक लाख रुपए जुर्मान भरने के निर्देश दिये हैं। विज्ञप्ति के मुताबिक कंपनी के निदेशक चक्किलम रघुराम का निधन हो चुका है।कंपनी ने स्टेट बैंक से मनगढ़ंत वित्तीय विवरण बोर्ड के आधार पर एसबीआई से ऋण लिया था। दोषी ठहराए गए वक्ति अपराध के कृत्य से प्राप्त धन के शोधन के दोषी पाए गए हैं। ईडी के मुताबिक जिन संपत्तियों को कर्ज के लिए बैंकों के पास गिरवी रखा गया था, उन्हें कंपनी और उसके प्रमोटरों द्वारा पहले ही बेच दिया गया था। जांच के आधार पर , ईडी ने दिसंबर 2013 में मेसर्स चक्कीलम ट्रेड हाउस लिमिटेड और छह अभियुक्तों के विरुद्ध मनी लांडरिंग का शिकायत दर्ज की थी।

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