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धोनी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर रहे, उनकी आलोचना करना गलत : किरमानी

लखनऊ,

महेंद्र सिंह धोनी को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में लचर प्रदर्शन के कारण आलोचनाओं का सामाना करना पड़ रहा है लेकिन पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज सैयद किरमानी ने इन्हें गैरजरूरी बताते हुए कहा है कि उन्हें आलोचकों की सोच पर तरस आता है। किरमानी ने रविवार को कहा कि, ‘‘यह दौर हर खिलाड़ी के करियर में आना जरूरी है। ऊंचाई पर पहुंचने का भी एक वक्त होता है, उसी तरह नीचे उतरने का भी एक समय होता है। वक्त के साथ हर चीज बदलती है, जो लोग आज धोनी की आलोचना कर रहे हैं मुझे उनकी सोच पर तरस आता है।
Syed Kirmani: I attribute the high standard of my wicketkeeping to the  spinners of my era - Cricket Country
इस सवाल पर कि क्या धोनी अब मैच विजेता और फिनिशर नहीं रहे, किरमानी ने कहा कि अब उन्हें धोनी से उस तरह की क्रिकेट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए जो आज से 10-15 साल पहले की जाती थी। उन्होंने कहा, ‘‘ हमें प्रकृति का नियम हर हाल में मानना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि धोनी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर रहे हैं और क्योंकि वह बहुत लंबे समय के बाद मैदान पर उतरे हैं इसलिए भी उनका प्रदर्शन गिर रहा है। पूर्व भारतीय विकेटकीपर ने कहा, ‘‘धोनी सिर्फ एक क्रिकेटर ही नहीं है बल्कि उनके कंधे पर और भी कई जिम्मेदारियां हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह अब अपने भविष्य के बारे में भी सोच रहे होंगे। जैसे-जैसे अन्य जिम्मेदारियां बढ़ती जाती है वैसे-वैसे खिलाड़ी के प्रदर्शन पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में इस दफा आईपीएल संयुक्त अरब अमीरात की बेहद गर्म स्थितियों में खेला जा रहा है। खिलाडिय़ों के प्रदर्शन पर इसका भी बुरा असर पड़ रहा है क्योंकि खिलाड़ी इस गर्मी में खेलने के आदी नहीं हैं।

उम्र के साथ इंसान की हर गतिविधि में फर्क आता है

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इस बार आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के खराब प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर किरमानी ने कहा, ‘‘क्रिकेटर अनिश्चितताओं का खेल है। यही कारण है कि रॉयल चौलेंजर्स बैंगलोर में विराट कोहली के अगुवाई में शानदार बल्लेबाजी क्रम होने के बावजूद यह टीम अभी तक आईपीएल का एक भी खिताब नहीं जीत सकी है, लिहाजा यह कहना सही नहीं होगा कि किसी टीम में कोई कमी या खामी है। किरमानी ने कहा कि उम्र के साथ इंसान की हर गतिविधि में फर्क आता है। यह नियम क्रिकेट खिलाडिय़ों पर भी लागू होता है। इस उम्र में वह चुस्ती-फुर्ती नहीं रह पाती जो युवावस्था में होती है। इसके अलावा इस उम्र में खिलाड़ी भविष्य की अन्य चिंताओं से भी घिर जाता है। इसका असर भी उसके खेल पर पड़ता है। यह एक कुदरती बात है।

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सात मैचों की छह पारियों में सिर्फ 112 रन बना सके धोनी 

गौरतलब है कि चेन्नई सुपरकिंग्स को तीन बार आईपीएल ट्रॉफी दिलवाने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के इस बार आईपीएल में खराब प्रदर्शन को लेकर खासी चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना भी हो रही है। धोनी सात मैचों की छह पारियों में सिर्फ 112 रन बना सके हैं जिनमें एक भी अर्धशतक शामिल नहीं है। चेन्नई अपने शुरुआती सात में से पांच मुकाबले हार चुकी है और अब टूर्नामेंट में उसकी राह बहुत मुश्किल हो गई है। टीम की लगातार हार के लिए धोनी की लंबी पारी खेलने में नाकामी को भी एक बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है।

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