विश्व नेताओं के समक्ष बाल श्रम रोकने, शिक्षा को बढ़ावा देने की उठी मांग
नयी दिल्ली। बंधुआ मजदूर रही झारखंड की 20 वर्षीय काजल कुमारी और राजस्थान के 22 वर्षीय किंशु कुमार ने संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं के समक्ष बाल श्रम रोकने और शिक्षा को बढ़ावा देने की मांग उठायी है। संयुक्त राष्ट्र की ‘ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट’ को गुरुवार को संबोधित करते हुए काजल और किंशु ने बच्चों की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ‘बालश्रम और बाल शोषण के खात्मे में शिक्षा की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने होंगे और इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से ज्यादा प्रयास करने चाहिए। इसके साथ ही आयोजित हुई ‘लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट’ में नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल और किंशु ने बालश्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और बच्चों की शिक्षा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा एक चाभी की तरह है। इससे ही वे बालश्रम, बाल शोषण, बाल विवाह और गरीबी से बच सकते हैं।’’ इस मौके पर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लीमा जीबोवी, स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन लोवेन और जानी-मानी बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां मौजूद थीं। ‘लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन’ दुनियाभर में अपनी तरह का इकलौता मंच है, जिसमें नोबेल विजेता और वैश्विक नेता, बच्चों के मुद्दों को लेकर जुटते हैं और भविष्य की कार्ययोजना तय करते हैं। इस मंच गठन नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने किया है। किंशु बचपन में छह साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक मोटर गैराज में मजदूरी करता था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और ऐसे में किंशु को स्कूल छोड़कर मजदूरी करनी पड़ी ताकि परिवार की आमदनी में कुछ इजाफा हो सके।