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वामपंथी उग्रवाद के सफाये का अभियान निर्णायक अंजाम पर पहुंचाएंगे : शाह

नयी दिल्ली, 

सरकार ने देश के दस वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में उग्रवादियों के सफाये के अभियान की रफ्तार बढ़ाकर निर्णायक अंजाम तक पहुंचाने की जरूरत व्यक्त करते हुए आज कहा कि उग्रवाद का सफाया किये बिना ना तो लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होगीं और ना ही अविकसित क्षेत्रों का विकास हो सकता है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को यहां वामपंथी उग्रवाद की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक में यह विचार व्यक्त किया। बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री एम सुचरिता, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल के वरिष्ठ अधिकारी, केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी और केन्द्र तथा विभिन्न राज्यों के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, दूरसंचार, सूचना-प्रौद्योगिकी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह तथा केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे। बैठक को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने में केंद्र और राज्यों के साझा प्रयासों से बहुत सफलता मिली है। वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 23 प्रतिशत और उनमें मौतों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है। दशकों बाद पहली बार मौतों की संख्या 200 से कम है और यह हमारी साझा और बहुत बड़ी उपलब्धि है। गृह मंत्री ने कहा, “हम सब जानते हैं कि जब तक हम वामपंथी उग्रवाद की समस्या से पूरी तरह निजात नहीं पाते तब तक देश का और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का पूर्ण विकास संभव नहीं है। इसको खत्म किए बिना न तो लोकतन्त्र को नीचे तक प्रसारित कर पाएंगे और न ही अविकसित क्षेत्रों का विकास कर पाएंगे, इसलिए हमने अब तक जो हासिल किया है उस पर संतोष करने की बजाय जो बाकी है उसे प्राप्त करने के लिए गति बढ़ाने की जरूरत है।”


उन्होंने कहा, “जो हथियार छोड़कर लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं उनका दिल से स्वागत है लेकिन जो हथियार उठाकर निर्दोष लोगों और पुलिस को आहत करेंगे, उनको उसी तरह जवाब दिया जायेगा।” उन्होंने कहा कि जिस समस्या के कारण पिछले 40 वर्षों में 16 हज़ार से अधिक नागरिकों की जान गई हैं, उसके ख़िलाफ़ लड़ाई अब मुकाम तक पहुंची है और इसकी गति बढ़ाने और इसे निर्णायक बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बलों के बारे में जिन राज्यों ने मांग भेजी हैं, उन्हें पूरा करने का प्रयास किया गया है। राज्य प्रशासन को सक्रिय होकर केन्द्रीय बलों के साथ तालमेल के साथ आगे बढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवादियों के आय के स्रोतों को निष्प्रभावी करना बेहद ज़रूरी है। केन्द्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों को मिलकर एक व्यवस्था बनाकर इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे वामपंथी उग्रवाद की समस्या को अगले एक साल तक प्राथमिकता दें जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए दबाव बनाने, गति बढ़ाने और बेहतर समन्वय की ज़रूरत है। उन्होंने राज्यों से यह आग्रह भी किया कि वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव कम से कम हर तीन महीने में पुलिस महानिदेशक और केन्द्रीय एजेंसियों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करें, तभी हम इस लड़ाई को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में जिन क्षेत्रों में सुरक्षा पहुंच नहीं थी, वहां सुरक्षा कैंप बढ़ाने का काफी बड़ा और सफल प्रयास किया गया है, विशेषकर छत्तीसगढ़ में, साथ ही महाराष्ट्र और ओडिशा में भी सुरक्षा कैंप बढ़ाए गए हैं। अगर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर नियमित समीक्षा की जाती है तो निचले स्तर पर समन्वय की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी। श्री शाह ने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने अनेक उग्रवादी गुटों, विशेषकर उत्तरपूर्व में, के साथ समझौता कर उनसे हथियार डलवाने में सफलता हासिल की है। बोड़ोलैंड समझौता, ब्रू समझौता, कार्बी आंगलोंग समझौता और त्रिपुरा के उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण समेत अबतक लगभग 16 हज़ार कैडर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। इनके अलावा जितने भी लोग हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनका हम स्वागत करते हैं।


श्री शाह ने कहा कि कि केंद्र सरकार कई सालों से राजनीतिक दलों पर ध्यान दिये बिना दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ती रही है। असंतोष का मूल कारण है आज़ादी के बाद पिछले छह दशकों में विकास ना पहुंच पाना, इससे निपटने के लिए वहां तेज़ गति से विकास पहुंचाना और आम जनता और निर्दोष लोग उनके साथ ना जुड़ें, ऐसी व्यवस्था करना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व में अब तेजी से विकास हो रहा है और अब नक्सली भी ये बात समझ चुके हैं कि विकास होने पर निर्दोष लोग उनके बहकावे में नहीं आएंगे इसीलिए विकास की गति निर्बाध रूप से जारी रखना बहुत ज़रूरी है। इन दोनों मोर्चों पर सफल होने के लिए ये बैठक बहुत मह्त्वपूर्ण है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर होने वाले राज्यों के स्थायी ख़र्च में कमी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2018-19 के मुक़ाबले 2019-20 में केन्द्रीय बलों की तैनाती पर होने वाले राज्यों के ख़र्च में लगभग 2900 करोड़ रूपए की कमी आई है।
केन्द्र सरकार ने वामपंथी उग्रवाद के ख़तरे से समग्र रूप से निपटने के लिए 2015 से एक बहुआयामी दृष्टिकोण वाली ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ बनाई है। इस दो धारी योजना में पहला पक्ष है -उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में ग़रीब और कमज़ोर वर्ग तक विकास पहुंचाने के लिए विकास गतिविधियों पर अधिक ज़ोर देना तथा दूसरा पक्ष है -हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता। इस योजना की प्रगति और स्थिति की लगातार सघन निगरानी की जा रही है। सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों में विकास को और गति देने के लिए केन्द्र की मदद से 10 हजार से अधिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 80 फीसदी से अधिक पूरी हो चुकी हैं। इस योजना के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 2698.24 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। एसआईएस के तहत 992 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है और 152 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जारी कर दी गई है। एसआरई के तहत अप्रैल, 2014 से पिछले 7 वर्षों में 1992 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है जो कि सात वर्षों से पहले की अवधि की तुलना में 85 प्रतिशत अधिक है।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में 17 हजार 600 किलोमीटर सड़कों को मंज़ूरी दी गयी है, जिसमें से 9343 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में 2343 नए मोबाइल टावर लगाए गए हैं और अगले 18 महीनों में 2542 अतिरिक्त टावर लगाए जाएंगे। इन ज़िलों में लोगों के वित्तीय समावेशन के लिए 1789 डाकघर, 1236 बैंक शाखाएं, 1077 एटीएम और 14 हजार 230 बैंकिंग प्रतिनिधि खोले गए हैं और अगले एक वर्ष में 3114 डाकघर और खोले जाएंगे। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खोलने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों के लिए कुल 234 एकलव्य विद्यालय स्वीकृत किए गए हैं, इनमें से 119 कार्यरत हैं।
इन कदमाें के परिणाम स्वरूप पिछले एक दशक में हिंसा के आंकड़ों और इसके भौगोलिक फैलाव, दोनों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। वामपंथी उग्रवाद संबंधित हिंसा की घटनाएं 2009 में 2258 के उच्चतम स्तर से 70 प्रतिशत कम होकर वर्ष 2020 में 665 रह गई हैं। मौतों की संख्या में भी 82 फीसदी की कमी आई है जो वर्ष 2010 में दर्ज 1005 के उच्चतम आंकड़े से घटकर वर्ष 2020 में 183 रह गई हैं। माओवादियों के प्रभाव वाले ज़िलों की संख्या भी वर्ष 2010 में 96 से वर्ष 2020 में घटकर सिर्फ 53 ज़िलों तक सीमित रह गई है। माओवादियों को अब सिर्फ़ कुछ ही इलाक़ों में 25 ज़िलों तक सीमित कर दिया गया है जो कि देश के कुल वामपंथी उग्रवाद की 85 प्रतिशत हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं।

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