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मंत्रिमंडल ने दी साढ़े छह हजार करोड़ रुपए की रेल परियोजनाओं को मंजूरी

नयी दिल्ली।  सरकार ने ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में रेलवे कनेक्टिविटी को मजबूत करने वाली करीब साढ़े छह हजार करोड़ रुपए की लागत वाली तीन परियोजनाओं को आज मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में रेल मंत्रालय की लगभग 6,456 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली इन तीन परियोजनाओं -जमशेदपुर-पुरुलिया-आसनसोल की 121 किलोमीटर के मार्ग पर तीसरी लाइन बिछाने, ओडिशा में सुंदरगढ़ जिले के सरडिगा से छत्तीसगढ के भालुमुढा के बीच 37 किलोमीटर की नयी लाइन बिछाने तथा ओडिशा में बरगढ़ से नुवापाढ़ा के बीच 138 किलोमीटर की नयी लाइन बिछाने को मंजूरी दी गई है।

रेल, सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए कहा कि इन परियोजनाओं से दूर-दराज़ के इलाकों को आपस में जोड़कर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा। उन्होंने कहा कि नई लाइन के प्रस्तावों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी और आवागमन में सुधार होगा, तथा भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा संबंधी विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री मोदी की नए भारत की परिकल्पना के अनुरूप हैं, जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक विकास होगा और लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

श्री वैष्णव ने कहा कि ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो एकीकृत योजना तैयार किए जाने से संभव हुआ है और यह लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इन परियोजनाओं से दूरदराज के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के ग्रामीण जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए देश की मुख्यधारा से जुड़ना अधिक आसान हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि चार पूर्वी राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली ये तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। इन परियोजनाओं के साथ 14 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे दो आकांक्षी जिलों (नुआपाड़ा और पूर्वी सिंहभूम) को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। नई लाइन परियोजनाओं से लगभग 1300 गांवों और लगभग 11 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी। मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 1300 गांवों और लगभग 19 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी।

श्री वैष्णव ने कहा कि ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप करीब साढ़े चार करोड़ टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल परिवहन साधन है और इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात (10 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (240 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो 9.7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।