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कोलकाता डॉक्टर दुष्कर्म-हत्या मामले और लोगों के शामिल होने के संकेत-उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक स्नातकोत्तर डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को सीबीआई की रिपोर्ट दुष्कर्म और हत्या मामले और वहां की वित्तीय अनियमितताओं में कुछ अन्य लोगों की संलिप्तता दर्शाते हैं। शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान पीठ को सूचित किया गया कि सीबीआई जिन सात लोगों की जांच कर रही है वे अभी भी अस्पताल में कार्यरत हैं। डॉक्टरों के एक संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और करुणा नंदी ने कहा कि जांच लंबित रहने तक उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाना चाहिए। एक अधिवक्ता ने कहा कि यह कोई साधारण हत्या नहीं है और इस घटना में और भी कई लोग शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने जानना चाहा कि क्या ऐसे लोग हैं जो वर्तमान में जांच के दायरे में हैं और अस्पताल में अधिकार वाले पदों पर हैं। पीठ ने मामले की सुनवाई शाम चार बजे के बाद की (जो पीठ के उठने का समय था) और कहा, ‘सीबीआई जांच में बहुत महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। जाहिर है सीबीआई को दो पहलुओं पर जांच जारी रखनी चाहिए, कथित दुष्कर्म और हत्या तथा दूसरा कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा संदर्भित वित्तीय अनियमितताओं पर। पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि चोटें इस तथ्य से और भी बढ़ गई हैं कि उसने चश्मा पहना हुआ था , ऐसा कैसे हो सकता है कि उसने उस विशेष समय पर चश्मा पहना हुआ था , क्या उस पर हमला तब हुआ जब वह सो रही थी , मेहता ने कहा कि वह सो रही थी। पीठ ने आगे पूछा, ‘फिर उसने अपना चश्मा कैसे पहना हुआ था।

इसके बाद एक वकील ने कहा कि उसने चश्मा नहीं पहना हुआ था और बरामदगी में कहा गया है कि चश्मा टूटा हुआ था और उसके बगल में गद्दे पर मिला था। वरिष्ठ अधिवक्ता जयसिंह ने कहा, ‘मैं कुछ नाम बताऊंगी जो कॉलेज के प्रिंसिपल के बुलावे पर अपराध स्थल पर मौजूद थे जिनका कॉलेज से कोई लेना-देना नहीं था और न ही वे उस समय ड्यूटी पर थे। वे पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही वहां पहुंच गए थे‌। उन्होंने कहा कि उनमें से कुछ पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के निर्वाचित सदस्य हैं। यही कारण है कि हम दलील दे रहे हैं कि यह कोई साधारण हत्या नहीं और इस घटना में कई और लोग शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘आइए इसे यहीं रहने दें।’ अधिवक्ता नंदी ने कहा कि उनमें से कई आज भी सत्ता के पदों पर हैं और यह धमकी संस्कृति और धमकियों को बढ़ावा देने में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि यह आर जी कर अस्पताल और चिकित्सा जांच, परीक्षा बोर्ड, टेंडर लेने वाले सहयोग और पश्चिम बंगाल चिकित्सा परिषद के संबंध में सत्ता के पदों पर बैठे लोगों तक सीमित नहीं है। पीठ ने मेहता से पूछा, ‘यह कुछ ऐसा है जिस पर आपको अदालत को अवगत कराना चाहिए। वे लोग कौन हैं, भूल जाइए कि वे हत्या को दबाने की किसी साजिश में शामिल थे। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। इसे एक पल के लिए अलग रखिए। क्या ऐसे कोई लोग हैं जो वर्तमान में जांच के दायरे में हैं। जो अस्पताल में उच्च पदों पर हैं और जिनके खिलाफ वित्तीय अनियमितता में शामिल होने का आरोप है।

इस पर श्री मेहता ने कहा कि जांच में अपराध और वित्तीय अनियमितता को शामिल किया जाएगा। पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि सीबीआई को यह बताना चाहिए कि वे लोग कौन हैं ताकि हम कार्रवाई कर सकें। इस पर जयसिंह ने कहा कि वे नाम बताएंगे। पीठ ने कहा, ‘आखिरकार कोई भी कार्रवाई अनुशासनात्मक प्राधिकारी के रूप में राज्य सरकार द्वारा की जानी चाहिए। हमारे लिए अभी बिना पूरे तथ्यों के सामान्य प्रकृति का निर्देश जारी करना…मुझे लगता है कि इस स्तर पर राज्य सरकार के साथ कुछ जानकारी साझा की जानी चाहिए। श्री द्विवेदी ने कहा कि राज्य को पांच डॉक्टरों के बारे में सूचित किया गया था, उन्हें निलंबित कर दिया गया और कार्रवाई की गई है।

पीठ ने कहा कि अगर हम अन्य अस्पतालों में जांच का विस्तार करते हैं तो सीबीआई के लिए मुश्किल स्थिति होगी। पीठ ने अधिवक्ता से कहा, ‘हम आर जी कर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और निश्चित रहें, आप वह आवेदन पेश करें। पीठ ने श्री मेहता से याचिका की जांच करने और अदालत को अवगत कराने के लिए कहा कि क्या जांच को व्यापक बनाने की आवश्यकता है और ‘फिर हम उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए आवश्यक आदेश पारित कर सकते हैं। यह एक व्यापक गठजोड़ का हिस्सा है, चाहे वह अंतर-राज्यीय हो। पीठ ने कहा कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने से पहले उसके पास कुछ ठोस सामग्री होनी चाहिए।