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महिला सशक्तिकरण में आकाशवाणी की भूमिका अहम

नयी दिल्ली।  महिलाओं को सशक्त बनाने में शुरू से ही आकाशवाणी महती भूमिका रही है। समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। एक समय ऐसा भी था जब अपनी आवाज़ को सशक्त तरीके से दूसरों तक पहुँचाने के लिये रेडियो से बेहतर कोई दूसरा माध्यम नहीं था। महिलायें समाज का वह आइना है जिसके बिना सामाजिक संरचना की परिकल्पना संभव नहीं है। घर से लेकर कार्यस्थल तक महिलाओं की भूमिका अहम होती है।

आकाशवाणी की समाचार वाचक फरहत नाज ने कहा कि अगर बात साहित्य की हो या फिल्मी दुनिया की, चांद की हो या राष्ट्रपति भवन की, टेलीविजन से लेकर घर की दीवारों तक महिलाओं ने अपनी मौजूदगी का हर जगह खास एहसास कराया है। महिलाओं ने अपनी रचनाओं से साहित्य को नये आयाम दिये हैं। आकाशवाणी की समचार वाचक फरहत नाज अपने अनुभव के आधार पर यह कहती हैं कि रेडियो का महिलाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। महिलाओं के विकास में सामुदायिक रेडियो की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। आज ग्रामीण स्तर पर कई सारे सामुदायिक रेडियो महिलाओं की समस्यायें सामने रख रहे हैं। आकाशवाणी के कई कार्यक्रम हमेशा महिलाओं और युवाओं पर केंद्रित होते हैं। समय- समय पर महिलाओं के मुद्दे उठाकर वे समाज में उनकी भागीदारी को आगे बढ़ा रहे हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेकों योजनाओं को जनता तक पहुंचा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज महिलायें हर क्षेत्र में अच्छे काम कर रही हैं। भारतीय सेना, प्रशासनिक सेवायें, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य सेवायें, मनोरंजन या शिक्षा का क्षेत्र, हर जगह महिलायें अपने परचम को खूब शान से लहरा रही हैं। इसलिये यह कहना गलत नहीं होगा कि रेडियो संचार का एक ऐसा माध्यम है जिससे विकास और सशक्तिकरण की राहें खुलती हैं। रेडियो के माध्यम से विभिन्न सरकारी योजनाओं, पंचायती राज और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर स्थानीय भाषा में कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं, जिससे महिलाओं का ज्ञानवर्धन होता है और वह इन साड़ी योजनाओं का लाभ भी उठा पाती हैं। अगर रेडियो की आवाज को और बुलंद किया गया तो यकीनन महिलाओं की भागीदारी इसमें और बढ़ेगी और हर क्षेत्र में महिलायें और सशक्त होंगी।

आकाशवाणी के रायपुर केंद्र में महिलाओं के कार्यक्रम बिंदिया और घर आंगन प्रसारित किये जाते हैं जो वहां स्थानीय स्तर पर महिलाओं की समस्याओं को उजागर कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन कार्यक्रमों का संचालन भी महिलाओं के द्वारा ही किया जाता है। शुरुआत से ही आकाशवाणी का प्राथमिक उद्देश्य जनता तक सूचना पहुंचाना, उन्हें शिक्षित करना और उनका मनोरंजन करना है। इसका प्रमुख उद्देश्य महिलाओं की जरूरतें और उनके कल्याण और विकास को बढ़ावा देना है और इस वजह से ही पिछले कुछ सालों में रेडियो सुनने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले कई सालों से आकाशवाणी पर प्रसारित स्पॉटलाइट कार्यक्रम में नारी शक्ति -देश की शक्ति, वुमन ऑन द मूव और गृहलक्ष्मी के अंतर्गत महिलाओं की उपलब्धियों को बताया जा रहा है।

आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय मीडिया में इस अवसर पर महिला सम्मान के कई आयोजनों की खबरें खूब छपती हैं, लेकिन क्या वास्तव में हम महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर हैं। हम वाकई महिलाओं की सोच को तवज्जो दे रहे हैं। आज जब मीडिया, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में अपराध की खबरों को मिर्च मसाला लगाकर तरजीह दे रहा है और श्रोता या पाठक बड़ी ही चाव के साथ इस चटपटी ख़बरों का मज़ा ले रहे हैं। ऐसे में रेडियो बड़ी ही ख़ामोशी के साथ समाज और विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक पहल के साथ आगे बढ़ रहा है। रेडियो महिलाओं को न सिर्फ शिक्षा के मायने सिखा रहा है, बल्कि उनमें आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ने का हौसला भी दे रहा है।

आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम मन की बात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा महिलाओं की समस्याओं को प्राथमिकता दी। महिलाओं को सजग और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये प्रधानमंत्री के द्वारा कई सरकारी योजनाओं का जिक्र भी किया जाता रहा है। हाल ही में प्रधानमन्त्री ने कहा कि स्वयं सहायता समूह में आज महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़ी है और उनके काम करने के दायरे का भी बहुत विस्तार हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह दिन दूर नहीं जब महिलायें गांव-गांव में नमो ड्रोन दीदी स्‍कीम के तहत ड्रोन से खेतों की निगरानी करती हुई दिखाई देंगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कई ऐसी महिलाओं का भी जिक्र किया जिन्होने अपने कार्य से देश का मान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव, हर्बल औषधीय विशेषज्ञ अरुणाचल प्रदेश की यानुंग जामोह लेगो और 26 जनवरी की परेड में केंद्रीय सुरक्षा बलों और दिल्ली पुलिस की महिला टुकड़ियों द्वारा कदमताल के लिए उनकी सराहना की थी।

प्रधानमंत्री के मन की बात’ के 110 वें संस्करण में श्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत ही आठ मार्च को मनाये जाने वाले महिला दिवस से की थी। उन्होंने कहा कि महाकवि भरतियार जी ने कहा है कि दुनिया तभी समृद्ध होगी जब महिलाओं को समान अवसर मिलेंगे। आज देश में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें देश की नारी शक्ति पीछे रह गयी हो। महिलायें हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। भारत के विकास में महिलायें अपना शत-प्रतिशत योगदान दे रही हैं। अब तो महिलायें प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में अपने झंडे गाड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक किसने सोचा था कि हमारे देश में, गांव में रहने वाली महिलायें भी ड्रोन उड़ायेंगी, लेकिन आज ये संभव हो रहा है।

हाल ही में आकाशवाणी पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा शुरू किये गये कार्यक्रम ‘नई सोच नई कहानी में भी महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका दिखी । इस कार्यक्रम में सरकार की पहल की सहायता से महिलाओं के सशक्तिकरण की अविश्वसनीय कहानियों और भारत में महिलाओं के जीवन को आकार देने में उनकी भूमिका को उजागर किया गया। पहले शो में स्टार्टअप से जुड़ी महिलायें और स्व-निर्मित व्यवसायी महिलायें शामिल हुईं। इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं ने अपनी सफलता की कहानियों को दूसरों से साझा किया। आकाशवाणी के इस कार्यक्रम के माध्यम से श्रोताओं को यह बताने की कोशिश की गयी कि कैसे उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ उठा कर नए कीर्तिमान स्थापित करके दूसरों के लिये एक रोलमॉडल बन रही हैं।

श्रीमती ईरानी के इस कार्यक्रम का समापन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साक्षात्कार के साथ हुआ जिसमें राष्ट्रपति ने अपने जीवन के संघर्षों के बारे में बताया। इस कड़ी में राष्ट्रपति ने अपनी शैक्षिक, पेशेवर और राजनीतिक यात्रा पर भी बात की थी। पहले की अपेक्षा महिलाओं की दशा पर काफी सुधार हुआ है। वर्ष 1951 में भारत की साक्षरता दर केवल 18.3 फीसदी थी, जिसमें महिलाओं की साक्षरता दर मात्र नौ प्रतिशत से भी कम थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2021 में देश की औसत साक्षरता दर 77.70 प्रतिशत थी, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 84.70 प्रतिशत, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 70.30 प्रतिशत थी। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आजादी के बाद से अब तक महिलाओं ने हर क्षेत्र में विकास किया है।

उन्होंने कहा कि इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि पहले महिलाएं आर्थिक रूप से कमज़ोर होती थीं, इसलिए वह अधिकतर निर्णय के लिए पुरुषों पर निर्भर रहती थीं, लेकिन अब महिलाओं के लिये रोज़गार के अवसर खुले हैं वह आत्मनिर्भर हो रही हैं। आज भारत की अधिकतर महिलाओं का स्वरोज़गार हैं । आज यही कारण है कि भारतीय महिलायें भारत की सकल घरेलू उत्पाद में अपना योगदान दे रही हैं ।

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