रक्तदान के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता: बघेल
नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रो. एस पी सिंह बघेल ने बुधवार को कहा कि रक्तदान के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है और इस संबंध में सभी प्रकार की भ्रांतियों का निवारण किया जाना चाहिए। प्रो. बघेल ने नई दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ पर एक रक्तदान शिविर का उद्घाटन करते हुए कहा कि हमें रक्तदान के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को रक्तदान और अंगदान के महत्व के बारे में समझना और सिखाना चाहिए।” उन्होंने दुनिया के लोगों से रक्तदान करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि हमें ग्रामीण क्षेत्रों में रक्तदान के मिथकों को दूर करने के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी इन मिथकों से घिरे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि रक्तदान एक नेक काम है और हमारी समृद्ध संस्कृति और सेवा और सहयोग की परंपरा में गहराई से जुड़ा हुआ है। रक्तदान देश की आवश्यकता को पूरा करने के अलावा समाज और मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण सेवा है। इस वर्ष के विश्व रक्तदाता दिवस अभियान का नारा है ‘खून दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा कर। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि भारत में हर दो सेकेंड में रक्तदान की मांग होती है। हर साल औसतन 1.46 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है और 10 लाख यूनिट की कमी हमेशा बनी रहती है। यह समझ और जागरूकता की कमी के अलावा, कई मिथक और तथ्य रक्तदान से जुड़े हैं। हममें से प्रत्येक तीन में से एक को अपने जीवनकाल में रक्त की आवश्यकता होगी।
प्रो.बघेल ने कहा कि तकनीकी प्रगति के बावजूद, रक्त का कोई विकल्प नहीं बचा है और एक यूनिट रक्त तीन लोगों की जान बचा सकता है। उन्होंने कहा कि रक्तदान से कमजोरी नहीं होती। एक व्यक्ति के शरीर में 5-6 लीटर रक्त होता है और वह हर 90 दिन (तीन महीने) में रक्तदान कर सकता है। शरीर बहुत जल्दी खून की कमी पूरी कर सकता है। इस अवसर पर प्रो. बघेल ने रक्तदान शिविर में रक्तदाताओं से मुलाकात की और रक्तदान के उनके निस्वार्थ कार्य की सराहना की। उन्होंने 100 से अधिक बार रक्तदान करने वाले रक्तदाताओं को सम्मानित भी किया।