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मोदी ‘ग्लोबल बुद्धिस्ट समिट’ का गुरुवार को करेंगे उद्घाटन

नयी दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को ‘वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन’ (ग्लोबल बुद्धिस्ट समिट) का उद्घाटन करेंगे। यह भारत की ओर से आयोजित किया जाने वाला पहला सम्मेलन है। केंद्रीय संस्कृति एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री किशन रेड्डी ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बौद्ध धर्म भारत में ही पैदा हुआ और यह बुद्ध की भूमि है, इसलिए भारत का यह प्रमुख कर्तव्य है कि वह बुद्ध के संदेशों को दुनिया में प्रसारित करें। आज जब दुनिया में हर तरफ हलचल मची है, ऐसे में बुद्ध का शांति और अहिंसा का संदेश अत्यंत प्रासंगिक है।

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के साथ संस्कृति मंत्रालय 20-21 अप्रैल को यहां ‘वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन’ (ग्लोबल बुद्धिस्ट समिट) का आयोजन होने वाला है। जिसका उद्देश्य दुनिया के सामने सर्वाधिक कठिन चुनौतियों से निपटने के लिए बौद्ध दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना है। इस सम्मेलन में 30 देशों के 171 प्रतिनिधि आएंगे, वहीं भारत के विभिन्न बौद्ध संगठनों के भी 150 प्रतिनिधि शामिल होंगे। इनमें विभिन्न देशों के प्रमुख बौद्ध गुरु और अकादमिक जगत के लोग शामिल होंगे। ग्लोबल बुद्धिस्ट समिट की थीम हैः “रिस्पॉन्सेज टू कंटेम्पररीज चेलेंजेस फ्रॉम फिलॉसफी टू प्रैक्सिस” (समकालीन चुनौतियों का उत्तरः दर्शन से लेकर कार्यान्वयन तक)। सम्मेलन में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि दुनिया की वर्तमान चुनौतियों का सामना बौद् दृष्टिकोण के अनुसार किस प्रकार किया जा सकता है।

श्री रेड्डी ने बौद्ध धर्म और संस्कृति के प्रसार के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने भगवान बुद्ध से जुड़े कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट का उद्धाटन किया, ताकि सारी दुनिया से लोग कुशीनगर सीधे आ सकें। नेपाल, जो भगवान बुद्ध की जन्मस्थली है, वहां भी एक भव्य स्मारक बनाने का काम सरकार कर रही है, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री ने किया। विभिन्न बौद्ध तीर्थस्थलों पर तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 2014 से ही बुद्ध पूर्णिमा पर महत्त्व कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।

इस अवसर आईबीसी के महानिदेशक अभिजित हलधर ने बताया कि इस सम्मेलन में दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान, यहां तक कि ब्राजील और मेक्सिको जैसे देशों से भी बौद्ध भिक्षु आ रहे हैं। इस सम्मेलन में बुद्ध धम्म और शांति, बुद्ध धम्म- पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता, नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण- यहीं पर विविध आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराओं के ज्ञान और संस्कृति का विकास, बुद्ध धम्म तीर्थयात्रा, जीवित विरासत और बुद्ध अवशेष- दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों से संबंधित विषयों पर दुनिया भर के प्रतिष्ठित विद्वान, बौद्ध संघों के नेता और धम्म साधक चर्चा करेंगे।

उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में बुद्ध धम्म ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। दुनिया में इसके प्रसार से ज्ञान और संस्कृतियों का एक बड़ा मंथन हुआ और दुनिया भर में विविध आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराओं का विकास हुआ। गौरतलब है कि आईबीसी एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जो बौद्ध धर्म की समृद्ध विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। यह वैश्विक बौद्ध समुदाय को अपने ज्ञान को साझा करने तथा अपनी साझा विरासत को संरक्षित करने व बढ़ावा देने के साथ-साथ वर्तमान में जारी सामाजिक और राजनीतिक परिचर्चा में सार्थक भागीदारी के लिए मंच प्रदान करता है।

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