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सीबीआई को हर मामले में राज्य सरकारों से सहमति की जरूरत नहीं: केंद्र

नयी दिल्ली, 

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से शुक्रवार को कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के लिए यह अनिवार्य कानूनी शर्त नहीं कि वह राज्यों में प्राथमिकी दर्ज करने तथा जांच के लिए हर मामले में राज्य सरकारों से पूर्व सहमति प्राप्त करें। केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि राज्यों की ओर से सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने तथा जांच के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेने का पूर्ण अधिकार नहीं है। राज्य सरकार हर मामले में अपनी सहमति वापस नहीं ले सकती। मामले की गंभीरता के अनुसार सीबीआई बिना राज्य सरकार की सहमति के प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का अधिकार रखती है। न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दाखिल कर पश्चिम बंगाल सरकार की एक याचिका के जवाब में ये तथ्य पेश किये । याचिका पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद भड़की हिंसा के अलावा कोयला खनन में कथित घोटाले के मामले से जुड़ी हुई है। इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी एवं अन्य शामिल हैं।


केंद्र सरकार ने कहा है कि सीबीआई जांच से जुड़े 12 मामले पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सूचीबद्ध हैं, जिनमें से छह शीर्ष अदालत में लंबित है। पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर 2018 को अपने राज्य क्षेत्र में सीबीआई जांच के लिए दी गई सहमति वापस ले ली थी। केंद्र सरकार का कहना है कि पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले के बाद भी सीबीआई के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह राज्य क्षेत्र में हर मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने से पूर्व वहां की सरकार से सहमति प्राप्त करे। सीबीआई एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है और उसे जांच का विशेष अधिकार प्राप्त है। पीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष जानने के बाद मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 16 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है।

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