विद्यार्थियों को योग कराना जरूरी हैः डॉ. भारती प्रवीण
नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने गुरुवार को यहां कहा कि विद्यालयों में विद्यार्थियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए योग कराना बेहद जरूरी है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में अंतर्निहित योग और ध्यान के माध्यम से ही मानसिक समस्या से निजात पाया जा सकता है। डॉ. पवार ने दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा आयोजित ‘संस्थानों से परे मानसिक स्वास्थ्य की परिकल्पनना’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया और इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों के लिए योग को आवश्यक बताया। इस अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, सदस्य, डॉ. डी एम मुले, श्री राजीव जैन, न्यायमूर्ति एम एम कुमार, एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
इस सम्मेलन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के कार्यान्वयन में चुनौतियों पर चर्चा करना और मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान हेतु भविष्य की योजनाओं पर विचार-विमर्श करना था। डॉ. पवार ने कहा, “केंद्र सरकार सामान्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों हेतु किफायती प्रभावी उपचार की उपलब्धता और पहुंच को बढ़ावा दे रही है”। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को प्रमुख आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया गया है। मुख्य अतिथि ने कहा कि राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवा के शुभारंभ के बाद से 42 टेली-मानस सेल स्थापित किए गए हैं, जो पहले ही दो लाख से अधिक कॉल रिकॉर्ड कर चुके हैं।
वहीं न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य में, प्रत्येक मानव को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना राज्य का दायित्व है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 147 के तहत अनिवार्य है। अस्पताल उत्तम मानकों के अनुरूप चलने चाहिए, जिसमें डिजिटल और आत्महत्या की रोकथाम सहित गुणवत्तापूर्ण अधिकारों के साथ गुणवत्तापूर्ण देखभाल को बढ़ावा देना, मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना और हस्तक्षेप करना शामिल हो। उन्होंने कहा कि अवसाद विकलांगता का प्रमुख कारण है और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और कार्यस्थल पर तनाव पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने सरकारों की पहल और नीतियों की सराहना की और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को एक अद्वितीय कानूनी प्रावधान बताया। उन्होंने सवाल किया कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार के लिए केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे धन का पूरा उपयोग क्यों नहीं किया जाता है? एनएचआरसी अध्यक्ष ने कहा कि मरीज अस्पताल जिला प्रशासन, पुलिस और मानसिक स्वास्थ्य केंद्र अधिकारियों जैसी विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थातपित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण उनकी स्थिति कैद जैसी है। मरीजों और ठीक हो चुके व्यक्तियों को भी आराम के लिए बाहर ले जाना चाहिए। इसके अलावा, ठीक हो चुके मरीजों को घर भेज देना चाहिए।
वहीं नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों में मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों एवं समस्याओं वाले व्यक्तियों की इष्टतम उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल सुनिश्चित करने से संबंधित एक महत्वपूर्ण पहलू शामिल है। इससे पहले, एनएचआरसी के महासचिव लाल ने कहा, “मानसिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है। हम मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं की शीघ्र पहचान कर सकते हैं और उनके बढ़ने से पहले उपचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आयोग देश में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों और विभिन्न हितधारकों के परामर्श से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।