शहजादे व मोहतरमा की जुबानी जंग में कौन मारेगा बाजी
मंडी। देश भर में ‘छोटी काशी’ के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश के ‘मंडी’ संसदीय सीट पर जंग ऐसे प्रत्याशियों के बीच हुई, जिन्होंने हिंदुत्व का झंडा तो उठा रखा है, मगर एक-दूसरे को संबोधित करने के लिए उर्दू के शब्दों का चयन किया। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार व फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने कांग्रेस उम्मीदवार व राज्य के मंत्री विक्रमादित्य सिंह को ‘शहजादा’ कहकर संबोधित किया, वहीं श्री सिंह ने भी कंगना को ‘मोहतरमा’ शब्द से संबोधित करना शुरू कर दिया। यही कारण है कि इस बार का चुनाव शहजादे और मोहतरमा के बीच जुबानी जंग में ही उलझा रहा। जनहित के मुद्दों की बातें कम हुई,व्यक्तिगत आरोप- प्रत्यारोप ज्यादा दिखाई दिए। श्री सिंह ने अपना विजन जनता के बीच रखा तो वहीं कंगना रनौत को ‘मोदी’ के सहारे चुनावी नाव पार लगने की उम्मीद है।
कंगना रनौत के गृह क्षेत्र सरकाघाट में 67.58 फीसदी मतदान हुआ। यहां के मतदाताओं में मतदान को लेकर वैसा उत्साह देखने को नहीं मिला जैसा अपेक्षित था। कंगना चुनाव प्रचार के दौरान सरकाघाट की जनता से यह अपील करती रही कि यहां से ज्यादा से ज्यादा वोटिंग होनी चाहिए। सरकाघाट की जनता ने ज्यादा वोटिंग की अपील को तो खारिज कर दिया, लेकिन लीड दी है या नहीं, इसका पता चार जून को ही चलेगा। वहीं, दूसरी तरफ श्री सिंह के गृह क्षेत्र रामपुर में 74.3 फीसदी मतदान हुआ।ये इस बात का संकेत है,प्रजा ने राजा के लिए उत्साह दिखाया है। इसे हम अधिक उत्साह भी नहीं कह सकते क्योंकि श्री सिंह 80 फीसदी से ज्यादा मतदान की आस लगाए बैठे थे। वहीं, इससे हटकर भाजपा के नेता जयराम ठाकुर का सराज इस बार भी मतदान में सबसे आगे रहा। सराज में 79.22 फीसदी मतदान हुआ,ये मंडी संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा है।
अगर अनुमान की बात करें तो मंडी संसदीय सीट पर ‘शहजादे’ और ‘मोहतरमा’ के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। यहां यह नहीं कहा जा सकता कि शहजादा जीत रहा है या फिर मोहतरमा। मंडी संसदीय क्षेत्र की जनता ने चुपचाप अपना जनादेश दिया है। यहां लोग केंद्र में मोदी सरकार चाह रहे थे, लेकिन प्रत्याशी से खुश नहीं थे। अब ऐसे में वोटर्स ने प्रत्याशी के प्रति नाराजगी जताई है या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में जनादेश दिया है, इसका सही-सही आकलन नहीं हो पा रहा है। तेरह लाख 77 हजार से अधिक मतदाताओं के बीच यदि किसी की जीत 25 से 50 हजार के अंतर से होती है तो इसे कांटे की टक्कर ही माना जाएगा।