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मैडम तुसाद संग्रहालय में लगेगी योग गुरु रामदेव की मोम प्रतिकृति

नयी दिल्ली/देहरादून।  भारतीय संस्कृति, संन्यास और सनातन योग परम्परा को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाने में संलग्न योग गुरु स्वामी रामदेव की ‘मोम की प्रतिकृति’ का मंगलवार को नयी दिल्ली में अनावरण हुआ। यह प्रतिकृति विश्व में, सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र न्यूयार्क स्थित ‘मैडम तुसाद संग्रहालय’ द्वारा स्थापित की जाएगी। कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने कहा कि न्यूयार्क स्थित मैडम तुसाद संग्रहालय में 200 से ज्यादा बड़े आयकॉन्स के फिगर लगे हैं। जिनमें अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, ऋतिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा तथा शाहरूख खान आदि हैं किन्तु विश्व के उन 200 रिनाउंड आइकॉन्स के साथ भारत के एक संन्यासी को इन्होंने जो सम्मान दिया वह एक संन्यासी का गौरव नहीं, अपितु पूरे भारत का गौरव है।

उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनियां की निगाहें भारत के योग व आयुर्वेद पर हैं। अब तो अमेरिका में भी मेड इन यूएस तथा मेड बाई अमेरिका के कान्सैप्ट पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद एवं स्वदेशी का जो मूमेंट पतंजलि से चलाया था, उसकी लहर अब पूरी दुनियां में हैं। स्वामी जी ने बताया कि इस प्रतिकृति को बनाने में लगभग 200 आर्टिस्ट का पुरुषार्थ तथा लगभग दो करोड़ रुपए की लागत आई है। उन्होंने कहा कि यह कास्ट का विषय नहीं हैं। यह एक कॉन्सेप्ट है। जिसमें भारत और भारतीयता को, भारत के एक संन्यासी को स्थान दिया है। हम इसके लिए मैडम तुसाद की टीम के प्रति कृतज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि यह स्वामी रामेदव का सम्मान नहीं अपितु यह भारत की सनातन संस्कृति, योग, आयुर्वेद, भारत की सनातन संस्कृति, हमने पूर्वजों की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान है।

पतंजलि के संस्थापक रामदेव ने कहा कि हमारा उद्देश्य पूरे विश्व में ऐसे रचनाधर्मिता वाले पुरुषार्थी व्यक्तित्व तैयार करना है, जो योग के पथ पर, कर्तव्य के पथ, कर्मयोग के पथ पर आगे बढ़ते चलें। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व की पूजा करो, चित्र नहीं चरित्र की पूजा करो। इसलिए हमने इसको न कोई मूर्ति बोला, न इसकी पूजा की और न ही कोई प्राण प्रतिष्ठा की, यह मात्र प्रेरणा के लिए है। सनातन परम्परा व संस्कृति के शाश्वत ज्ञान, विज्ञान व प्रज्ञान पर हमें नए सोपान स्थापित करने हैं। स्वामी ने कहा कि जो भी भारत की मिट्टी में पैदा हुआ है, वह भारत रत्न है। उसे ऐसा प्रयत्न करना चाहिए कि वह विश्व में भारत माता का गौरव प्रतिष्ठापित करने के लिए अपना क्या योगदान दे सकता है। उन्होंने बताया कि मेरे पास पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण तक के ऑफर आए थे, जिन्हें मैंने इन्हें विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया, क्योंकि संन्यासी सत्कार और तिरस्कार दोनों से ऊपर होता है।

इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी महाराज के जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में मैडम तुसाद, न्यूयॉर्क के मार्केटिंग हैड टियागो मोगाडोरा, सहायक मैनेजर बैन, मैडम तुसाद, नई दिल्ली के जनरल मैनेजर अंशुल जैन, पतंजलि योगपीठ के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण, पतंजलि योगपीठ यू.के. ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी माता सुनीता पौद्दार, रामदेव के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस.के. तिजारावाला, आस्था चैनल के सी.ई.ओ. प्रमोद जोशी, संस्कार चैनल के सी.ई.ओ. मनोज त्यागी, भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेश कुमार आदि उपस्थित थे।