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पूर्व भारतीय ऑलराउंडर वीनू मांकड आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल

दुबई, 

पूर्व भारतीय ऑल राउंडर वीनू मांकड को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया है। आईसीसी की ओर से भारत के महान ऑलराउंडर्स में से एक मांकड को उनके टेस्ट क्रिकेट में दिए गए योगदान के लिए यह सम्मान दिया गया है। आईसीसी ने निर्धारित तिथि अनुसार आज आईसीसी हॉल ऑफ फेम के 10 नए सदस्यों के नामों की घोषणा की। भारत के वीनू मांकड के अलावा इन 10 दिग्गज क्रिकेटरों में दक्षिण अफ्रीका के ऑब्रे फॉकनर, ऑस्ट्रेलिया के मोंटी नोबल, वेस्ट इंडीज के सर लेरी कॉन्सटेंटाइन, ऑस्ट्रेलिया के स्टेन मैककेबे, इंग्लैंड के टेड डेक्सटर, वेस्ट इंडीज के डेसमंड हेन्स, इंग्लैंड के बॉब विलिस, श्रीलंका के कुमार संगकारा और जिम्बाब्वे के एंडी फ्लावर शामिल हैं।
फॉकनर और नोबल को प्रारंभिक क्रिकेट युग (1918 से पहले), कॉन्सटेंटाइन और मैककेबे को इंटर-वार क्रिकेट युग (1918 से 1945), मांकड़ और डेक्सटर को पोस्ट-वार क्रिकेट युग (1946 से 1970), हेन्स और विलिस को वनडे क्रिकेट युग (1971 से 1995) और संगकारा और फ्लावर को आधुनिक क्रिकेट युग (1996 से 2016) श्रेणी में हाॅल ऑफ फेम बनाया गया है।
क्रिकेटर जो ज़्यादा फड़फड़ाने वाले नॉन-स्ट्राइकर बैट्समैन को शांत कर देता  था - Vinoo Mankad who ran non striker out to have this art named after  himself
मांकड के करियर पर नजर डालें तो उन्होंने 44 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 31.47 के औसत के साथ 2109 रन और लेफ्ट आर्म गेंदबाजी करते हुए 32.32 के औसत के साथ 162 विकेट लिए हैं। उनका सबसे सर्वश्रेष्ठ और प्रसिद्ध प्रदर्शन 1952 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ था, जब उन्होंने बल्लेबाजी में 72 और 184 रन और गेंदबाजी में 97 ओवर फेंके थे। वह अपने टेस्ट करियर के दौरान हर नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले दुनिया के तीन क्रिकेटरों में से एक हैं। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने देश के एक अन्य महान क्रिकेटर और आईसीसी हॉल ऑफ फेम के साथी सदस्य सुनील गावस्कर को मुंबई में कोचिंग दी थी। पूर्व भारतीय ओपनर सुनील गावस्कर ने मांकड के हॉल ऑफ फेम में शामिल होने पर कहा, “ वीनू मांकड की विरासत भारतीय खिलाड़ियों को खुद पर भरोसा रखने के लिए कहने वाली रही है। वह आत्म-विश्वास के प्रबल समर्थक हैं। वो वही हैं जो मुझसे कहते थे कि मुझे रन बनाते रहने और लय बनाए रखने की जरूरत है। वह यह भी कहते थे कि जब आप शतक बना लेते हैं तो आप खुद ब खुद चयनकर्ता के दरवाजे पर दस्तक देंगे। आपके पास सबसे अच्छी तकनीक हो सकती है, लेकिन अगर आपके पास इसका समर्थन करने का स्वभाव नहीं है तो आप सफल नहीं होंगे। आपको क्रीज पर बने रहना होगा और उस आत्म-विश्वास को बरकरार रखना होगा। मैंने उनसे यही सबसे बड़ा सबक सीखा है। ”

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