जन प्रतिनिधियों के आचरण में सुधारने का अभियान चलाएं मतदाता:नायडू
नयी दिल्ली,
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश में संसद, विधानसभाओं तथा विधान परिषदों के संचालन को प्रभावित करने वाले जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर मतदाताओं को अभियान चलाना चाहिए और अपने प्रतिनिधि से व्यवधान पहुंचाने का कारण पूछकर उसे एहसास कराना चाहिए कि उसने सदन में मर्यादा के विरुद्ध व्यवहार किया है। श्री नायडू ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की पहली पुण्य तिथि पर आयोजित पहले स्मृति व्याख्यान में उन्हें नमन करते हुए कहा कि लोगों को सांसदों, विधायकों और एमएलसी के आचरण में सुधार के लिए ‘मिशन 5,000’ की अवधारणा पर काम करना चाहिए। उनका कहना था कि पांच हजार जन प्रतिनिधियों के आचारण में सुधार लाने का काम मजबूती के साथ मतदाता कर सकते हैं। लोगों को इस अभियान का हिस्सा बनकर अपने जन प्रतिनिधियों के आचरण में सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने लोकतंत्र और समावेशी विकास के संदर्भ में विधायिकाओं के कामकाज में बढ़ते व्यवधानों और उसकी गिरती गुणवत्ता पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि विधानसभाओं और संसद में जिस तरह से व्यवधान पैदा करने की प्रवृत्ति बढ रही है, वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। उनका कहना था कि लोकतंत्र के मंदिर में लोगों को जनता की बात रख कर उनकी मदद करनी चाहिए लेकिन जन प्रतिनिधि इस एजेंडे से दूर होकर सदन के कामकाज में सिर्फ व्यवधान डालने का काम कर रहे हैं।
श्री नायडू ने कहा कि जो जन प्रतिनिधि संसद, विधानसभाओं और विधान परिषदों में जनता की बात रखने की बजाय बाधा डालने का काम करते हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए। ऐसे निर्वाचित प्रतिनिधियों से उनके निर्वाचन क्षेत्रों में इस संबंध में उनसे सवाल पूछे जाने चाहिए। उनके सवालों को सोशल मीडिया पर लाकर उन्हें जन प्रतिनिधि के तौर पर सही आचरण करने के लिए कहा जाना चाहिए। इससे बाधा पहुंचाने वाले प्रतिनिधियों के आचरण में सुधार होगा और उन्हें शर्मिंदगी महसूस होगी। उप राष्ट्रपति ने कहा कि यह उनका सौभाग्य रहा है कि उन्हें ‘प्रणव दा’ जैसे महान व्यक्तित्व को नजदीकी से जानने का मौका मिला। उनका कहना था कि श्री मुखर्जी और वह दो अलग-अलग विचारधारा से संबद्ध थे लेकिन उन दोनों के लिए देश पहले रहा है। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह हर साल दशहरा पर अपने गांव मिराती जाते थे और अपनी परंपरा में शामिल होते थे।