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ट्रंप के परमाणु हथियारों के परीक्षण संबंधी बयान की दुनिया भर में हो रही तीखी आलोचना

नयी दिल्ली।  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने की घोषणा पर दुनिया भर से तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। इसे एक भड़काऊ और दुनिया को फिर से परमाणु की दौड़ में धकेल देने वाले बयान के रूप में देखा जा रहा है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर श्री ट्रंप के बयान की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अपने ‘रक्षा विभाग’ का नाम बदलकर ‘युद्ध विभाग’ रखने वाला ‘परमाणु हथियारों से लैस दबंग देश’ खुद परमाणु हथियारों का परीक्षण करने जा रहा है। उन्होंने कहा, “यही दबंग देश ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को बदनाम कर रहा है और हमारे सुरक्षित परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले की धमकी दे रहा है।” श्री अराघची ने कहा कि यह अंतराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है। ईरान के विदेश मंत्री ने साफ तौर पर कहा, “अमेरिका दुनिया में परमाणु प्रसार का सबसे बड़ा खतरा है।

उल्लेखनीय है कि श्री ट्रंप ने दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन से इतर चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले गुरुवार को अपने ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि उन्होंने अमेरिका के रक्षा विभाग को परमाणु हथियारों के परीक्षण का आदेश दिया है। श्री ट्रंप ने कहा, “अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण, मैंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि वे हमारे परमाणु हथियारों का समान परीक्षण शुरू करें। रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस ने हाल में कोई परीक्षण नहीं किया है, लेकिन अगर अमेरिका ऐसा करता है तो रूस भी परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू कर देगा। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, “मैं राष्ट्रपति पुतिन के उस बयान को याद दिलाना चाहता हूँ, जो कई बार दोहराया गया है, अगर कोई प्रतिबंध का उल्लंघन करता है, तो रूस उसके अनुसार कार्रवाई करेगा।

उल्लेखनीय है कि रूस के पास परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा है, इसके बाद अमेरिका और फिर चीन के पास है। सोवियत संघ ने आखिरी बार 1990 में, अमेरिका ने 1992 में और चीन ने 1996 में परमाणु हथियार का परीक्षण किया था। चीन ने हालांकि ट्रंप के बयान पर संतुलित रूख अपनाया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि बीजिंग को उम्मीद है कि अमेरिका व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) और परमाणु परीक्षणों पर उसके प्रतिबंध का पालन करेगा। नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले जापानी परमाणु बम पीड़ितों के समूह निहोन हिडांक्यो ने अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा कड़ी आलोचना की है और इसे ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताया है। समूह ने जापान स्थित अमेरिकी दूतावास को इसके विरोध में एक पत्र भेजकर अपनी नाराजगी जताई कि यह दुनिया भर के देशों द्वारा किये जा रहे शांति प्रयासों के बिल्कुल विपरीत है और बिल्कुल अस्वीकार्य है।