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ट्रम्प ने मोदी के साथ वार्ता में शुल्क कम करने की भारत की घोषणा का किया स्वागत

वाशिंगटन/नयी दिल्ली।  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्ता में आयात शुल्क कम करने की भारत की घोषणा का स्वागत किया है। श्री ट्रम्प ने भारत द्वारा लगाए गए आयात शुल्क (टैरिफ) को ‘बहुत अधिक’ और ‘बहुत अनुचित’ करार देते हुए कहा कि श्री मोदी के साथ अपनी वार्ता में दोनों पक्ष असमानताओं को दूर करने और समान अवसर बनाने के लिए बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने श्री मोदी के साथ वार्ता के बाद व्हाइट हाउस में अपने संबोधन में कहा कि दोनों पक्ष आर्थिक संबंधों को गहरा करेंगे और ‘हमारे व्यापारिक संबंधों में अधिक निष्पक्षता और पारस्परिकता लाएंगे।

उन्होंने कहा,“सद्भावना के संकेत के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में भारत के अनुचित, बहुत मजबूत टैरिफ में कटौती की घोषणा की जो भारतीय बाजारों में अमेरिकी पहुंच को सीमित करते हैं और मुझे कहना होगा कि यह एक बड़ी समस्या है। भारत कई वस्तुओं पर 30-40 प्रतिशत, 60 और यहां तक ​​कि 70 प्रतिशत टैरिफ लगाता है और कुछ मामलों में इससे भी अधिक और उदाहरण के तौर पर भारत में जाने वाली अमेरिकी कारों पर 70 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाता है जिससे उन कारों को बेचना लगभग असंभव हो जाता है।

श्री ट्रम्प ने यह भी कहा कि भारत के साथ व्यापार घाटा लगभग 100 अरब डॉलर है और “उन्होंने और श्री मोदी ने इस बात पर सहमति जताई है कि हम उन असमानताओं को दूर करने के लिए बातचीत शुरू करेंगे, जिनका पिछले चार वर्षों में ध्यान रखा जाना चाहिए था… हम एक निश्चित स्तर का खेल मैदान चाहते हैं, जिसके बारे में हमें लगता है कि हम इसके हकदार हैं, और निष्पक्षता से कहें तो वह भी वास्तव में ऐसा ही चाहते हैं, और हम इस पर काम करने जा रहे हैं। हम तेल और गैस, और एलएनजी की बिक्री से घाटे की भरपाई कर सकते हैं, जो हमारे पास दुनिया में किसी भी देश से ज़्यादा है।

श्री ट्रम्प ने कहा कि वह और पीएम मोदी ऊर्जा पर एक समझौते पर पहुँच गए हैं जो अमेरिका को तेल और गैस के एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में पुनर्स्थापित करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल का जवाब देते हुए भारत ‘बहुत ज़्यादा टैरिफ’ लगाता रहा है और अब वे पारस्परिकता की ओर बढ़ रहे हैं जिसकी घोषणा उन्होंने पहले व्हाइट हाउस में की थी। उन्होंने कहा,“भारत में व्यापार बाधाओं और बहुत अधिक टैरिफ के कारण बिक्री करना बहुत कठिन है। अभी हम एक पारस्परिक राष्ट्र हैं हम वही शुल्क लेंगे जो वे हमसे ले रहे हैं , मुझे लगता है कि यह बहुत उचित तरीका है। मैं अपने दूसरे कार्यकाल में ऐसा करने जा रहा था, लेकिन हम कोविड से प्रभावित हो गए और हमें उस पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा… उस समय हमारी अर्थव्यवस्था सबसे मजबूत थी… अब हमें लगता है कि 45-50 वर्षों के दुरुपयोग के बाद ऐसा करने का समय आ गया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने घोषणा की कि हम भारत के साथ पारस्परिक व्यवहार कर रहे हैं भारत जो भी शुल्क लेता है, हम उससे वही शुल्क लेते हैं। श्री ट्रम्प ने असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग पर कहा कि भारत अमेरिकी परमाणु तकनीक का स्वागत करने के लिए अपने कानूनों में भी सुधार कर रहा है जो उच्चतम स्तर पर है। इससे लाखों भारतीयों को सुरक्षित, स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी और अमेरिकी असैन्य परमाणु उद्योग को अरबों डॉलर का लाभ होगा। उन्होंने कहा,“दोनों देश एआई के क्षेत्र में प्रमुख रूप से सहयोग करेंगे और हम दुनिया में एआई के मामले में शीर्ष पर बने रहेंगे।

उन्होंने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर का जिक्र करते हुए कहा,“हम इतिहास के सबसे महान व्यापार मार्गों में से एक का निर्माण कर रहे हैं’ जिसमें केबल के माध्यम से भूमि और पानी के नीचे कनेक्टिविटी शामिल होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘आज की घोषणाओं के साथ अमेरिका और भारत के बीच दोस्ती अब तक की सबसे मजबूत है, और हमारे संबंध दो देशों के नेताओं के बीच अब तक के सबसे अच्छे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा,“दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से भी अधिक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। हमारी टीमें पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने पर काम करेंगी।

व्यापार और निवेश का जिक्र करते हुए भारत-अमेरिका संयुक्त बयान में कहा गया कि हम भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तेल और गैस व्यापार को मजबूत करेंगे। ऊर्जा अवसंरचना में निवेश भी बढ़ेगा। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक नया लक्ष्य निर्धारित किया -‘मिशन 500’ – जिसका लक्ष्य 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से भी अधिक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की पहली किश्त 2025 की शरद ऋतु तक तैयार हो जाएगी। दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए पारस्परिक प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने पर सहमत हुए।

अमेरिका ने बोरबॉन, मोटरसाइकिल, आईसीटी उत्पादों और धातुओं के क्षेत्रों में अमेरिकी रुचि के उत्पादों पर टैरिफ कम करने के भारत के हालिया उपायों का स्वागत किया, साथ ही अमेरिकी कृषि उत्पादों, जैसे अल्फाल्फा घास और बत्तख का मांस, और चिकित्सा उपकरणों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने के उपायों का भी स्वागत किया। भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को भारतीय आमों और अनार के निर्यात को बढ़ाने के लिए किए गए अमेरिकी उपायों की भी सराहना की। दोनों पक्षों ने भारत को औद्योगिक वस्तुओं के अमेरिकी निर्यात और संयुक्त राज्य अमेरिका को श्रम-गहन निर्मित उत्पादों के भारतीय निर्यात को बढ़ाकर द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए सहयोग करने का भी वचन दिया। दोनों पक्ष कृषि वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने के लिए भी मिलकर काम करेंगे। दोनों नेताओं ने भारतीय कंपनियों द्वारा लगभग 7.35 अरब डॉलर के चल रहे निवेश का स्वागत किया और वाशिंगटन में इंजेक्टेबल्स के निर्माण में जुबिलेंट फार्मा। ये निवेश स्थानीय परिवारों के लिए 3,000 से अधिक उच्च-गुणवत्ता वाली नौकरियों का समर्थन करते हैं।