भारत का वास्तविक स्वरूप देखने के लिए ज्ञानेंद्रियां खोलने की आवश्यकता: धनखड़
नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि आधुनिक भारत का वास्तविक स्वरूप देखने के लिए कुछ लोगों को अपने ज्ञानेंद्रियां खोलने की आवश्यकता है। श्री धनखड़ ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत आज दुनिया भर के निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत की आर्थिक प्रगति का सकारात्मक आकलन कर रही है और इसे आकर्षक स्थान बता रही हैं। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी उपस्थित रहे।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने दस वर्ष में असाधारण समय देखा है। अकल्पनीय आर्थिक प्रगति और अविश्वसनीय संस्थागत ढाँचा भारत को मिल रहा है। भारत की आवाज बुलंदी पर है। उन्होंने कहा,“दुनिया की हम महाशक्ति तो हैं ही पर हमने एक रास्ता चुन लिया है, वह रास्ता चुन लिया है। वह वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाना का है।” उन्होंने कहा कि विकसित भारत अब सपना नहीं है। विकसित भारत हमारे सामने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्ति में गीता का ज्ञान ध्यान रखना पड़ेगा।
श्री धनखड़ ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार 700 डालर तक पहुँच गया है। पिछले दो साल में जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की संख्या दो करोड़ से ज्यादा है। उन्होंने कहा,“आज भी भारत में कुछ अज्ञानी हैं। जिनको भारत के वास्तविक स्वरूप का नहीं पता है। उनको अपनी ज्ञानेंद्रियां खोलनी चाहिए, उनको देखना चाहिए कि आज का भारत वह भारत है जिसकी प्रशंसा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संस्थान उसकी प्रशंसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में लगातार निवेश बढ़ रहा है और नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मोबाइल टेक्नोलॉजी की सफलता से दुनिया दंग रह गई है। कहते थे भारत के अंदर लोग शिक्षित नहीं है। आज के दिन जो आदमी कम शिक्षित व्यक्ति मोबाइल का उपयोग शिक्षित से ज़्यादा करता है। और यही कारण है, कि यदि अगर पर वक्त के हिसाब से इंटरनेट का उपभोग देखें तो हम चीन और जापान से भी आगे हैं। आज के दिन, हमारा लेन देन, पारदर्शिता से हो रहा है, बिजली के बिल के लिए लाइन की दरकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज सार्थक संवाद की आवश्यकता है। मतभेद विवाद नहीं बनना चाहिए। मतभेद होंगे, लोगों का दिमाग अलग-अलग तरीके से चलेगा। उन्होंने कहा,“मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे संसद सदस्य, हमारे विधानसभा के सदस्य, पंचायत और नगर पालिका में हमारे जनप्रतिनिधि और आपस में हर व्यक्ति, हर संस्था में यह ध्यान रखेगा संवाद सार्थक हो, संवाद का नतीजा व्यक्तिगत हित में नहीं है, समाज हित में होना चाहिए, देश हित में होना चाहिए। कोई भी हित समाज और राष्ट्रीय से बड़ा नहीं है और राष्ट्रीय ही सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि आज के दिन देश के सामने कुछ ऐसे संकट आ रहे हैं। कुछ ताकतें हैं देश में और विदेश में वे संगठित रूप से धन बल के आधार पर नैरेटिव बढ़ा कर यंत्र तंत्र का उपयोग कर भारत को चोट पहुंचाना चाहते हैं, हमारी अर्थव्यवस्था को चोट करना चाहते हैं, हमारी संस्थाओं को निष्क्रिय करना चाहते हैं। अब ऐसी ताकतों को नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता।