सरकार को पूरा भरोसा, सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजनों को रविवार को भरोसा दिलाया खान में फंसे व्यक्तियों के बहुमूल्य जीवन को बचाने के काम में सफलता अवश्य मिलेगी। सड़क परिवहन एवं राज मार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने एक वीडियो संदेश में सुरंग की स्थिति और मजदूरों को बढ़ाने से लेकर उन्हें भोजन पानी पहुंचाने तक के लिए किया जा रहे प्रयासों की अद्यतन जानकारी देते हुए कहा “इस काम में समय लग सकता है पर काम अवश्य होगा।
उन्होंने रेखाचित्र के जरिए स्थिति को समझाते हुए कहा कि 4.8 किलोमीटर लंबी सुरंग में ढाई किलोमीटर का एक हिस्सा पूरी तरह से बन चुका है और मजबूत है जहां बिजली और पानी की भी व्यवस्था है मजदूर इसी हिस्से में फंसे हैं उन्हें चार इंच के पाइप से चना मुरमुरा आदि खाने पीने की चीजों के साथ विटामिन की गोलियां आदि भी पहुंचाई जा रही हैं वहां उनका खाना पहुंचाने के लिए आरवीएनएल छह इंच का एक और सुरंग बनाने के काम पर लग गया है। श्री जैन ने कहा कि श्रमिकों के बहुमूल्य जीवन को सुरक्षित बचाने के लिए ओएनजीसी और भारतीय सेना सहित विभिन्न एजेंसियों ने पांच जगहों के लिए तय विकल्पों पर एक साथ काम शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए सुरंग के दो किलोमीटर के निर्मित खंड के ऊपर, एक ऊंची जगह से ओएनजीसी को गहराई में ड्रिलिंग करने की जिम्मेदारी दी गई है। उस जगह ऊंचाई ज्यादा, है और ज्यादा गहराई में ड्रिलिंग करने की क्षमता ओएनजीसी के पास है। जैन ने बताया , “ओएनजीसी के भूगर्भ वैज्ञानिक अध्ययन कर वहां रहे हैं और वह मशीन आदि की पहचान कर वहां विमान से मशीनें ले आएंगे।
उन्होंने कहा कि दूसरी एजेंसी एसजेवीएनएल को एक जगह से छह इंच व्यास की ड्रिलिंग के लिए कहा गया है। उनके पास करीब 100 मीटर गहराई तक बोर करने की क्षमता है। उन्होंने इससे पहले भी इस तरह के काफी बचाव कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि चार इंच की पाइप लाइन है, जिसका प्रबंध आरवीएनएल कर रही है। वहीं छह इंच की पाइपलाइन का काम इसलिए शुरू किया जा रहा है ताकि फंसे मजदूर के लिए भोजन पहुंचाने का बेहतर प्रबंध किया जा सके। इसके लिए स्थानीय स्तर पर मशीन उपलब्ध है। उन्हें ने बताया कि काम शुरू कर दिया गया है।
श्री जैन ने कहा कि सुरंग के बाएं छोर (सिल्कियारा छोर) से क्षैतिज ड्रिलिंग का एक काम आरवीएनएल को दिया गया है और वह इस लाइव सपोर्ट का काम भी कर रहे हैं। आरवीएनएलव 170 मीटर दूर से एक माइक्रो टनलिंग मशीन के माध्यम से श्रमिक श्रमिकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “सुरंग के बाएं हिस्से में 80 मीटर निर्मित हिस्से के बाद से 300 मीटर तक का एक असुरक्षित भाग है जिसके गिरने का खतरा है। उसके बारे में हमने इंजीनियर टीम से बात कर तय किया कि वहां एक छतरी बनाई जाए और उसे सुरक्षित किया जाए यह काम सेना के इंजीनियरों की टीम को दिया गया है। सेना की टीम वहां पहुंच गई है और फ्री-कास्ट या पहले से ढलाई की हुई कल्वर्ट के इस्तेमाल से वहां कैनोपी बनाने के काम में लग गए हैं।
श्री जैन ने कहा, “सभी एजेंसियों के भूगर्भ वैज्ञानिक और विशेषज्ञ एक टीम की तरह से मिलकर काम कर रहे हैं। भारत सरकार की मंशा स्पष्ट है, प्रधानमंत्री जी भी स्पष्ट कह चुके हैं कि किसी भी कीमत पर मजदूरों की बेशकीमती जिंदगी बचाई जाए इसके लिए जो भी संभव प्रयास हैं हम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमें विश्वास है कि यथा संभव जल्दी इस काम में हमें सफलता मिलेगी। आप लोगों के माध्यम से हम हम मजदूरों के परिवार तकिया संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि वह घबराएं नहीं। बचाव के इस काम में देर लग सकती है, लेकिन यह काम अवश्य पूरा होगा।
उन्होंने कहा, “घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन सौभाग्य से सुरंग का दो किलोमीटर का एक हिस्सा बना हुआ है जिसमें केवल कंक्रीट डालना बाकी रह गया था। गडकरी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सिल्कयारा सुरंग स्थल का दौरा किया और राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया। सुरंग का एक हिस्सा धंसने से 41 मजदूर आठ दिन से फंसे हैं। सिलक्यारा में शुक्रवार दोपहर दो बजे से ड्रिलिंग कार्य बंद पड़ा हुआ था, लेकिन आज शाम चार बजे यानी 50 घंटे बाद फिर से ड्रिलिंग कार्य शुरू हो गया है और यहां से खाना अंदर भेजने के लिए एक और छोटा पाइप ड्रिल किया गया है।