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सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर विचार करने से किया इनकार

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश में 16347 शिक्षकों की भर्ती के लिए चल रही मेगा जिला चयन समिति परीक्षा- 2025 को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने याचिकाकर्ता पोसिना आनंद साई की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी। उच्च न्यायालय में फिलहाल गर्मी की छुट्टियां हैं। इसके बाद अदालत 16 जून से फिर से खुलेगी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता (डॉ.) चारु माथुर द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने पर शुरू में न्यायमूर्ति मनमोहन ने टिप्पणी की कि परीक्षा पहले ही शुरू हो चुकी है। अदालतों को ऐसे मामलों में कोई रोक नहीं लगानी चाहिए। उन्होंने अधिवक्ता से कहा, “मैडम, परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। हम उन्हें बीच में नहीं रोक सकते। हम परीक्षा आयोजित करने के लिए कोई तंत्र नहीं बनाते हैं। यह हमारी विशेषज्ञता नहीं है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने पीठ के समक्ष याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि लाखों अभ्यर्थी पहले ही परीक्षा दे चुके हैं।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने सवाल किया कि याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। इस पर अधिवक्ता माथुर ने कहा कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में छुट्टियां चल रही हैं। इसलिए उच्च न्यायालय संबंधित मामले की सुनवाई नहीं कर पाया है। छुट्टी के संबंध में अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल किए हैं, जिसमें साफ तौर पर उल्लेख किया गया है। इन दलीलों का पीठ पर कोई असर नहीं हुआ और उसने रिट याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उच्च न्यायालय 16 जून को फिर से खुल रहा है‌। याचिकाकर्ता किसी भी राहत के लिए उच्च न्यायालय से गुहार लगा सकता है।

याचिका के अनुसार आंध्र प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 16347 शिक्षण पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की जा रही है। याचिकाकर्ता की शिकायत यह है कि परीक्षा लगभग 5.72 लाख उम्मीदवारों के लिए एक महीने की अवधि में कई पालियों में अलग-अलग प्रश्नपत्रों के साथ आयोजित की जानी है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह दृष्टिकोण योग्यता-आधारित भर्ती प्रक्रिया में एक बुनियादी दोष पेश करता है, जिसके तहत समान स्थिति वाले उम्मीदवारों को अलग-अलग कठिनाई हो सकती है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अपनाई गई यह परीक्षा प्रक्रिया मनमाना, गैर-पारदर्शी के साथ साथ भारतीय संविधान के तहत संरक्षित अनुच्छेद 14 और 16 के तहत याचिकाकर्ता के अधिकार का उल्लंघन करती है। भूतपूर्व सैनिक इस याचिकाकर्ता ने लागू नियमों के अनुसार आरक्षित श्रेणी के तहत आवेदन किया है तथा एक जून, 2025 को उसकी परीक्षा हो गई। याचिका में कहा गया है कि “आक्षेपित प्रक्रिया अप्रत्याशित और मनमाने तरीके से उसके चयन की संभावना को सीधे प्रभावित करती है।